बारिश के बाद शरद ऋतु का आगमन होने वाला है। आयुर्वेद के अनुसार शरद ऋ तु पित्त के प्रकोप का समय है। यह समय ऋ तुसंधि काल भी है। इसमें शरीर को अधिक मेहनत की जरुरत हो जाती है। जिससे इम्युनिटी घट जाती है। बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। बच्चे-बुजुर्गों में यह परेशानी ज्यादा ही होती है। बचाव के लिए कुछ बातों को लेकर ध्यान रखना अहम हो जाता है।
सांस के रोगी को देना होगा खास ध्यान
इम्युनिटी घटने के कारण सांस के रोगियों को लेकर खास ध्यान देने की जरुरत पड़ने वाली है। ऐसे रोगियों को केवल गुनगुना पानी से नहाना और पानी पीना भी जरुरत होता है। जोड़ों के रोगियों को भी ध्यान रखना चाहिए। योग-प्राणायाम करें।
मोटे अनाज न केवल शरीर का मेटाबोल्जिम ठीक कर वजन नियंत्रित रखते हैं बल्कि कफ के संचय की प्रवृति को भी कम कम करने में मदद करने वाली है।
विटामिन सी युक्त फल मसलन सेब, संतरा, अंगूर, अमरूद, अनार आंवला और नींबू आदि शामिल करें। इनमें एंटी ऑक्सीडेंट तत्त्व मौजूद होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होने जा रहा है।
शरीर की गर्मी बढ़े इसके लिए बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता, अखरोट आदि को आहार में शामिल करना होता है। डायबिटीज रोगी बादाम-अखरोट खाएं। सूखे मेवों के अलावा आप मंूगफली, कद्दू, सेम, अलसी और खरबूजे के बीज आदि ले सकते हैं। पानी की मात्रा कम न होने की जी जरुरत होने जा रहे हैं।
साबुत अनाज कई प्रकार की बीमारियों से बचाने जा रहा है। ओट्स, जौ, मक्का जैसे अनाज ठंड के मौसम में गर्म रखने को लेकर जरुरत हो जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में जठराग्नि बढ़ना शुरु हो जाती है। इससे शरीर को अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इस समय लंबे समय तक ऊर्जा तक जरुरत होने वाली है। मोटे और साबुत अनाज खाने से काब्र्स का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। इससे शरीर को लंबे समय को लेकर उर्जा मिलना शुरु हो जाती है।