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टाटा करेगा विस्ट्रॉन-प्लांट का अधिग्रहण

बेंगलुरु: विस्ट्रॉन के आईफोन निर्माण कारखाने का अधिकार जल्द ही टाटा ग्रुप को मिलने वाला है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, टाटा ग्रुप और एप्पल के आपूर्तिकर्ता विस्ट्रॉन के मध्य इस कारोबार को पक्का करने में कुछ ही समय बाकि है। इस कारोबार पर वर्ष 2023 के अगस्त महीने में हस्ताक्षर हो सकते हैं। इसके पश्चात्, भारत गणराज्य में पहली बार स्वदेशी तरीके से एप्पल प्रोडक्ट्स का उत्पादन होने लगेगा।

विस्ट्रॉन के बेंगलुरु वाले आईफोन कारखाने का मूल्य 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो कि 4,946 करोड़ रुपए के बराबर है। इस कारोबार को पूर्ण करने हेतु टाटा ग्रुप और विस्ट्रॉन पिछले वर्ष से ही वार्ता कर रहे हैं। इस कारखाने में आईफोन-14 का निर्माण होता है, जिसमें 10,000 से अधिक कर्मचारी सम्मिलित हैं।

विस्ट्रॉन ने भारत में अपना पहला कदम वर्ष 2008 में रखा था, जब यह कंपनी विभिन्न उपकरणों की मरम्मत का कार्य करती थी। वर्ष 2017 में इस कंपनी ने अपने कारोबार को बढ़ाया और एप्पल के साथ मिलकर आईफोन का निर्माण करने लगी थी।

विस्ट्रॉन ने एपल के साथ एक समझौता किया है, जिसमें यह कंपनी मार्च 2024 तक 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य के आईफोन पहुंचाएगी। साथ ही, यह कंपनी अगले वर्ष तक अपने कारखाने में कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या को तीन गुना बढ़ाने का भी वादा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब टाटा ग्रुप को विस्ट्रॉन के इन प्रतिबद्धताओं को पालन करना होगा, जबकि प्लांट का संपादन होने वाला है।

विस्ट्रॉन ने भारत में अपना आईफोन निर्माण कारखाना बेचने का निर्णय इसलिए लिया है, क्योंकि एप्पल की मांगों को पूरा करके मुनाफा कमाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। कंपनी को भारत में सिर्फ आईफोन असेंबल करने का ही काम मिलता था, जिसमें ज्यादा पैसा नहीं कमाया जा सकता था। इसलिए, कंपनी ने वियतनाम और मैक्सिको में अपने आईटी मैन्युफैक्चरिंग के कारोबार पर ध्यान देने का सोचा है।

विस्ट्रॉन ने भारत में अपना आईफोन निर्माण कारखाना बेचने का निर्णय इसलिए लिया है, क्योंकि एप्पल की मांगों को पूरा करके मुनाफा कमाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। कंपनी को भारत में सिर्फ आईफोन असेंबल करने का ही काम मिलता था, जिसमें ज्यादा पैसा नहीं कमाया जा सकता था। इसलिए, कंपनी ने वियतनाम और मैक्सिको में अपने आईटी मैन्युफैक्चरिंग के कारोबार पर ध्यान देने का सोचा है।

विस्ट्रॉन ने अपने कारोबार को पुनर्गठित करने के लिए अपना आईफोन निर्माण कारखाना टाटा ग्रुप को सौंप दिया है। यह कारखाना कोलार में है, जो कि बेंगलुरु के निकट है। टाटा ग्रुप को इस कारखाने में आईफोन की बनावट की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने की आशा है। विस्ट्रॉन ने इस कदम से अपने मुख्य काम पर ध्यान देना और भारत में आईफोन संरचना का काम छोड़ना चाहती है।

टाटा ग्रुप को विस्ट्रॉन का आईफोन कारखाना मिलने के पश्चात्, यह कंपनी नए आईफोन-15 की बनावट कर सकती है। इस समय, विस्ट्रॉन का भारतीय कारखाना 8 प्रोडक्शन लाइनों पर आईफोन-12 और आईफोन-14 का उत्पादन करता है। विस्ट्रॉन का यह प्लांट भारत में एपल प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन करने वाला कंपनी का सिर्फ एक ही प्लांट है, जिसके कारण इसके बेचने से विस्ट्रॉन का भारत से संपर्क समाप्त हो जाएगा।

यह अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो एप्पल के लिए भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में लिया गया है। क्योंकि, एप्पल चीन से अपना प्रोडक्शन हटाना चाहती है।

चीन और अमेरिका के मध्य तनाव के कारण, एप्पल ने पिछले वर्ष अपने वैश्विक उत्पादन का 25% हिस्सा भारत में लाने का इरादा जताया था। एप्पल के उत्पादन को संरचित करने वाली तीन ताइवानी कंपनियों में से केवल विस्ट्रॉन ही भारत से हट रही है। दूसरी दो कंपनियां, फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन, ने भारत में अपने प्रोडक्शन को मजबूत करने का काम किया है।

एप्पल के साथ अपने कारोबार को विस्तारित करने के लिए, टाटा ने और भी कुछ पहल की हैं। इनमें से एक है, तमिलनाडु के प्लांट में अधिक कर्मचारियों को नौकरी देना, जहां आईफोन के पुर्जे बनते हैं। साथ ही, कुछ सूत्रों का कहना है कि टाटा ग्रुप पेगाट्रॉन के प्रोडक्शन यूनिट्स को भी खरीद सकता है, जो आईफोन के लिए मैन्युफैक्चरिंग करती हैं।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश