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चीन ने किया अमेरिकी एयरबेस के कंप्यूटर सिस्टम पर हमला

वॉशिंगटन: संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए चीनी जनवादी गणराज्य के हैकर्स सिरदर्द बने हुए हैं। हाल में आई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि जिस दौरान अमेरिकी वायुसेना ने चीन के गुब्बारों को मार गिराया तथा उनके डेटा की जांच आरंभ हुई, ठीक उसी दौरान अमेरिका की खुफ़िया एजेंसी एफबीआई व टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को चीन के हैकरों की तरफ़ से अमेरिका के बहुत सारे राज्यों में हैकिंग के प्रयास की खबर मिली थी।

चिंतन की बात यह थी कि जिस कंप्यूटर कोड को हैकरों द्वारा अमेरिका के सिस्टम में डालना आरंभ किया, वह अमेरिकी क्षेत्र गुआम के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में भी मिला। यह बात भयभीत करने वाली इसलिए भी थी, क्योंकि गुआम संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे बड़े एयरबेसों में सम्मिलित है, जिसके नियंत्रण में प्रशांत महासागर में सबसे ज़रूरी बंदरगाह आते हैं।

कोड डालने वाले हैकर समूह का है चीनी सरकार से संपर्क

टेक जाइंट माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, इस कोड को अमेरिका के सिस्टम में चीनी जनवादी गणराज्य की सरकार से सम्बंधित एक हैकिंग समूह ने डाला था। उसके इस प्रयास की जानकारी मिलने के पश्चात् अमेरिका के सुरक्षा विभाग में हड़बड़ी मच गई। दरअसल, अधिकारियों का कहना है कि यह एयरबेस अमेरिका और एशिया के मध्य सुरक्षा की दृष्टि से एक सेतु का कार्य करता है।

मतलब चीनी गणराज्य (ताइवान) पर यदि चीनी जनवादी गणराज्य (चीन) की तरफ़ से कोई आक्रमण किया जाता है, तो गुआम एयरबेस अमेरिकी सेना की प्रतिक्रिया का सबसे ज़रूरी केंद्र होगा। हालांकि, चीन की तरफ़ से गुआम की सुरक्षा प्रणाली को निशाना बनाने के पश्चात् यह चिंता जताई जा रही है कि किसी भी प्रकार की जंग की हालत में चीनी सरकार के समर्थन वाले हैकर्स अमेरिकी एयरबेसों को निशाना बनाकर उसे तबाह करने का प्रयास कर सकते हैं।

अनुरेखन (ट्रेसिंग) से बचाव हेतु अपनाई यह तकनीक

अमेरिका की टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, चीन के हैकरों ने गुआम व अन्य राज्यों में भिन्न-भिन्न सिस्टम में हैकिंग कोड डालने हेतु चतुराई का प्रयोग किया। इसे चोरी-छिपे कुछ सिस्टम में डाला गया और यह अलग-अलग घरों के राऊटर्स (वाई-फाई) व अन्य इंटरनेट से सम्बंधित उपकरणों से भी होकर गुजारा, जिससे इसे पीछा करना (ट्रेस करना) बेहद मुश्किल हो गया।

खुफ़िया विभाग के अनुसार, इस कोड का नाम ‘वेब शेल’ था। इसकी स्क्रिप्टिंग के कारण हैकर्स कहीं दूर बैठकर भी इसका प्रचालन (ऑपरेट) कर सकते हैं। आपको बता दें कि घरों में लगे ज़्यादातर राउटर्स (वाई-फाई) पुराने होने के कारण उनमें सॉफ्टवेयर को भेदना आसान रहता है। इसलिए यह कोड कई सारे सिस्टम को निशाना बना सकते हैं।

कोड से चीन इस्तेमाल कर सकता है अन्य देशों के हथियार

माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इस हैकिंग कोड की जानकारी भी प्रकाशित की है। इस हैकिंग समूह का नाम ‘वोल्ट टाइफून’ बताया जा रहा है। इस समूह को चीनी सरकार की तरफ़ से ही अन्य देशों के ज़रूरी तकनीकी बुनियादी ढांचे (टेक इंफ्रास्ट्रक्चर) जैसे संचार (कम्युनिकेशन), विद्युत (बिजली) व गैस से सम्बंधित संसाधनों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।

इतना ही नहीं इसे नौसेना के अभियानों तथा परिवहन व्यवस्था को भी खराब करने के लिए प्रयोग किया गया है। गुआम क्षेत्र में हुई घटना को अमेरिका के अधिकारियों ने जासूसी से संम्बधित मुद्दा माना है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि चीनी सरकार के समर्थन वाले हैकर इस कोड को सिस्टम का सुरक्षा घेरा तोड़ने व इसके पश्चात् बर्बादी वाले आक्रमण कराने हेतु प्रयोग कर सकते हैं।

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी ने जारी की मित्र देशों को एडवाइजरी

टेक जाइंट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि अभी तक इस कोड के किसी प्रकार के आक्रमण हेतु प्रयोग के प्रमाण नहीं मिले हैं। रुसी महासंघ के हैकरों से विपरीत चीनी जनवादी गणराज्य के हैकर आमतौर पर जासूसी पसंद करते हैं। टेक कंपनी की इस रिपोर्ट को देखते हुए अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने अमेरिका के मित्र देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड व कनाडा के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश