कई प्रयोग साबित कर चुके हैं कि पेड़ पौधों में संवेदनाएं होती हैं और यह एक वैज्ञानिक बहस का विषय भी है। हाल ही में यह पुष्टि हुई है कि वह ‘सुन’ सकते हैं और ‘स्पर्श’ भी महसूस कर सकते हैं। लेकिन पहले यह साफ नहीं था, कि पेड़ पौधे स्पर्श को किस हद तक महसूस कर सकते हैं। हाल ही में हुए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि, पौधे ना केवल छूने का एहसास महसूस कर सकते हैं बल्कि, वह यह भी पता लगा सकते हैं कि उन्हें कहां और कितनी देर तक छुआ गया था। कमाल की बात यह है कि इनके पास कोई तंत्रिका या फिर तंत्र नहीं है, लेकिन फिर भी यह स्पर्श महसूस कर सकते हैं।
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की अगुवाई में हुए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि तंत्रिकाओं की अनुपस्थिति के बाद भी पेड़ पौधे स्पर्श महसूस कर सकते हैं। अध्ययन के प्रयोग में पौधों की कोशिकाओं पर कांच की छड़ के, नाजुक स्पर्श की प्रतिक्रिया को अवलोकित किया गया। इन कोशिकाओं ने पास की कोशिकाओं को, धीमें कैल्शियम के संकेत भेजकर अपनी प्रतिक्रिया को व्यक्त किया।
हैरानी की बात तब हुई जब पौधों की कोशिकाओं से छड़ का दबाव हटाया गया, तब इन कोशिकाओं ने और ज्यादा तेजी से तरंगों के स्वरूप को प्रदर्शित किया था। वैसे तो वैज्ञानिक पहले से ही जानते थे कि पौधे स्पर्श पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। लेकिन अब एक खास बात यह पता चली है कि वे छूने और स्पर्श के हटने पर अलग-अलग तरह के संकेत पैदा करते हैं। इस तरह की संवेदन क्षमता के कारण वे अंतर कर सकते हैं कि, कब स्पर्श कायम है और कब नहीं। वे ना सिर्फ दबाव को महसूस कर सकते हैं बल्कि, उसके घटने और बढ़ने को भी महसूस कर सकते हैं।
शोध में पाया गया कि पौधे इस प्रक्रिया का जानवरों से काफी अलग तरह से प्रबंधन करते हैं, जिनमें ऐसे कामों के लिए तंत्रिका और कोशिकाएं होती हैं। इस अध्ययन में प्रोफेसर माइकल नोबलॉच और उनकी टीम ने थैले क्रेस और तंबाकू के 12 पौधों पर 84 प्रयोग किए। इन्हें खासतौर पर इस तरह से उगाया गया था कि इनमें कैल्शियम सेंसर काम कर पाएं। इसके बाद उन्होंने पौधों की कोशिकाओं में इंसानी बाल के आकार की, कांच की छड़ के स्पर्श को माइक्रोस्कोप में अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने विविध तीव्रता के स्पर्श को लगाकर अध्ययन कर पाया कि छूने और उसे हटाने पर प्रतिक्रिया बहुत ही स्पष्ट लेकिन अलग तरह की थी। यह भी पाया गया कि पौधों में एक स्पर्श से कोशिकाओं में कैल्शियम आयन की धीमी तरंग पैदा हुई, जिन्होंने कोशिकाओं को छूने के बाद दूसरी कोशिकाओं तक पहुंचने में 30 सेकंड का समय लगाया और वे करीब 3 से 5 मिनट तक कायम रहीं। वहीं अगर स्पर्श के हटने की बात की जाए तो उससे पैदा हुई तरंगे एक ही मिनट तक रहीं।
आशीष ठाकुर – हिमाचल प्रदेश