बेंगलुरु: शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायलय ने ट्विटर की याचिका को केंद्र सरकार के आदेश के विरोध में मानते हुए उसे खारिज कर दिया। ट्विटर ने कुछ लोगों के अकाउंट, ट्वीट और यूआरएल पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार से मिले आदेश का अदालत में विरोध किया था।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने सुनवाई के दौरान ट्विटर पर आघात किया और कहा कि सरकार के आदेशों को अनुसरण करना उनका कर्तव्य था। न्यायलय ने 50 लाख रुपए की धनराशि के जुर्माना के साथ ट्विटर को दंडित किया।
ट्विटर ने हाईकोर्ट में यह तर्क दिया था कि केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने का सामान्य आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे आदेशों में कारणों का उल्लेख होना चाहिए, जिससे कि हम इसे यूजर्स को सूचित कर सकें। उन्होंने कहा कि अगर आदेश में वजहों की कमी है, तो यह संभावना है कि बाद में कारणों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
ट्विटर ने यह आरोप लगाया था कि सरकार के आदेश सेक्शन 69 ए की अवहेलना करते हैं। सेक्शन 69 ए के अनुसार, अकाउंट यूजर्स को उनके ट्वीट और अकाउंट पर प्रतिबंध के बारे में सूचना मिलनी चाहिए। परंतु मंत्रालय ने उन्हें कोई भी नोटिस नहीं भेजा।
केंद्र सरकार ने अदालत में यह बताया कि ट्विटर अपने यूजर्स का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। इस मामले में उसका अदालत में याचिका लगाने का कोई अधिकार नहीं है। ट्वीट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश कोई अंधा-धुंधा या एकपक्षीय निर्णय नहीं था। राष्ट्रीय हितों को समझते हुए, ट्विटर को ब्लॉक करने के आदेश जारी किए गए थे, जिससे कि लिंचिंग और मॉब हिंसा के मामलों को प्रतिबंधित किया जा सके।
अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश