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कोरोनावायरस है चीन का जैविक हथियार

बीजिंग: वुहान लैब के एक शोधकर्ता ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसने कोरोना वायरस को जानबूझकर जैविक हथियार के रूप में बनाया था। अंतरराष्ट्रीय प्रेस संघ की सदस्य जेनिफर जेंग के साथ हुए एक साक्षात्कार में, शोधकर्ता चाओ शाओ ने बताया कि उन्हें और उनके सहयोगियों को 4 प्रकार के वायरस की परीक्षण के लिए मिले, ताकि पता किया जा सके कि कौन सा प्रकार सबसे ज़्यादा संक्रमित करता है।

इस शोधकर्ता का इंटरव्यू वर्ष 2020 में हुआ था, जो हाल ही में सार्वजनिक हुआ है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस इंटरव्यू में शोधकर्ता ने 26 मिनट के दौरान कोरोना के स्ट्रेन्स के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनके साथ काम करने वाले शान चाओ को कोरोना के स्ट्रेन्स पर प्रयोग करने का काम मिला था। प्रयोग का उद्देश्य यह पता लगाना था कि कौन सा स्ट्रेन सबसे ज़्यादा संक्रमित होता है, संक्रमण कितनी ज़ल्दी फ़ैलता है, और संक्रमण कितना प्रभावी होता है।

चाओ शाओ ने बताया, ‘2019 में मिलिट्री वर्ल्ड गेम्स के समय हमारे टीम के कुछ सदस्य गायब हो गए थे। जब वे वापस आए, तो उनमें से एक ने हमें यह बताया कि हमें विभिन्न देशों के प्रतिभागियों की स्वच्छता की स्थिति का पता लगाने के लिए उनके होटल में भेजा गया था।’

‘खिलाड़ियों के हेल्थ चेक-अप के लिए वायरोलॉजिस्ट की सहायता हुई है। सच में, इन लोगों का मुख्य लक्ष्य कोविड-19 से बचना है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण मामला साथी शान चाओ का है। उन्होंने वर्ष 2020 में कोविड-19 के प्रति प्रतिरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’

“शाओ का मानना है कि चाओ को संक्रमित होने से मानवों में कोरोना की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसे परीक्षण के लिए भेजा गया था।”

कुछ दिन पूर्व ही एक अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से ही लीक हुआ था और बाद में इसने पूरे संसार को अपने चपेट में ले लिया। रिपोर्ट के अनुसार वुहान लैब के तीन वैज्ञानिक सबसे पहले कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। इन 3 वैज्ञानिकों के नाम बेन हू, यू पिंग और यान झू थे।

तीनों इस लैब के लीड शोधकर्ता थे। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि चीन की इस हरकत के तमाम सबूत अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI के पास मौजूद हैं।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश