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आज है विश्व हेपेटाइटिस दिवस

नई दिल्ली: हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिवर में सूजन हो जाती है। यह सूजन कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि कुछ प्रकार के वायरस, रसायन, दवाओं, शराब, आनुवंशिक विकार आदि। हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण बहुत ही घातक हो सकता है, और 2019 में इसके कारण लगभग 8.8 लाख लोगों का मौत हो गई। 28 जुलाई को हर साल विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को हेपेटाइटिस के प्रति सचेत और इसके प्रतिरोध में संयुक्त प्रयास करना है।

बरसात के मौसम यानि मानसून में हेपेटाइटिस से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण पानी का प्रदूषण है। इसलिए, हमेशा स्वच्छ और सुरक्षित पानी का ही पीना चाहिए और बाहर के खाने-पीने से भी बचना चाहिए।

हेपेटाइटिस के कई प्रकार होते हैं, लेकिन मानसून में हेपेटाइटिस-ए और ई का प्रकोप ज्यादा होता है। ये दोनों वायरस प्रदूषित पानी और खाने से फैलते हैं। हेपेटाइटिस का इलाज संभव है, पर कुछ मामलों में यह लंबे समय तक रह सकता है, और लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे खाने को पचाने, विषैले पदार्थों को बाहर निकालने, और ऊर्जा को संचित करने में मदद करता है। यदि हमारा लिवर स्वस्थ नहीं है, तो हमारी पूरी सेहत पर असर पड़ सकता है। इसलिए, हमें हेपेटाइटिस से बचने के लिए सही आहार, पानी, और जीवनशैली का पालन करना चाहिए।

हेपेटाइटिस ए एक प्रकार का वायरस है, जो लिवर को संक्रमित करता है। यह बहुत ही सरलता से फैलता है, खासकर जब पानी और भोजन में स्वच्छता का अभाव हो। मानसून में, पानी का प्रदूषण अधिक होने के कारण, हेपेटाइटिस ए के मामले बढ़ जाते हैं। हेपेटाइटिस ए का संक्रमण सामान्यतः कुछ समय में ठीक हो जाता है, पर कुछ मामलों में, यह लिवर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हेपेटाइटिस ए के लिए कोई खास दवा नहीं है, इसलिए, संक्रमण से बचने के लिए प्रतिरक्षा करना ही सबसे अच्छा है।

यह बात सत्य है कि जिन लोगों का लिवर पहले से ही कमजोर है, या जिन्हें कोई अन्य स्थायी बीमारी है, उन्हें हेपेटाइटिस से गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। हेपेटाइटिस के कारण, उनके लिवर को और भी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है, और उन्हें लिवर विफलता की स्थिति में पहुंच सकता है, जो कि जीवन को समाप्त भी कर सकता है।

हेपेटाइटिस-ए और ई दोनों ही वायरस हैं, जो पानी और भोजन के माध्यम से फैलते हैं। बरसात के मौसम में, इनका प्रकोप अधिक होता है, क्योंकि पानी का प्रदूषण बढ़ जाता है। इनसे बचने के लिए, कुछ सरल सुझाव हैं:

1) खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से साफ करें, खासकर जब आप शौचालय का उपयोग करें।

2) ताज़ा पका हुआ और स्वस्थ्यकर भोजन ही पसंद करें, और बाहर के खाने-पीने से परहेज करें।

3) सीलपैक पानी ही पिएं, और नल का पानी पीने से बचें।

4) सड़े हुए, कीड़े-मकोड़े, या मिलावटी फल-सब्जियों से परहेज करें।

5) फल-सब्जियों को पहले पानी में स्वच्छ करें, फिर ही उसे काटें, पकाएं और खाएं।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश