वॉशिंगटन: अमेरिका की कई सरकारी एजेंसियां साइबर हमले के शिकार हुईं है। हैकर्स ने फाइलों को भेजने वाले सॉफ्टवेयर में पाई गई कमी का फायदा उठाकर उन्हें हैक कर लिया। इसकी जानकारी अमेरिका की साइबर सुरक्षा प्राधिकरण सीआईएसए ने दी है।
अमेरिका के अतिरिक्त ब्रिटेन और अन्य देशों के सिस्टम भी मूवईट ट्रांसफर सॉफ्टवेयर की कमजोरी का शिकार हुए हैं। इस सॉफ्टवेयर के निर्माता प्रोग्रेस सॉफ्टवेयर ने पिछले महीने ही सुरक्षा में खामियों की चेतावनी दी थी। उसके बाद से हैकर्स के हमलों में वृद्धि हुई है। सीआईएसए के उप-निदेशक एरिक गोल्डस्टेन ने कहा कि वे हैकिंग का पूरा पता लगाने और सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, कंपनी ने सरकारी एजेंसियों को हुए नुकसान के बारे में कुछ नहीं बताया है।
ब्रिटेन की बड़ी ऊर्जा कंपनी शेल, जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और हेल्थ सिस्टम, जॉर्जिया यूनिवर्सिटी सिस्टम को भी हैकर्स का निशाना बनी हैं। शेल की प्रतिनिधि एन्ना एरटा ने कहा कि मूवईट ट्रांसफर सॉफ्टवेयर का सिर्फ कुछ कर्मचारी और ग्राहक ही प्रयोग करते हैं। इस हमले से शेल के मुख्य आईटी सिस्टम पर कोई असर नहीं हुआ है।
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के नेटवर्क को हैकर्स ने नुकसान पहुंचाया है। जॉर्जिया यूनिवर्सिटी सिस्टम भी हैकिंग का शिकार हुआ है और उसका मुआयना कर रहा है। पिछले सप्ताह, ब्रिटेन के टेलीकॉम नियामक, ब्रिटिश एयरवेज, बीबीसी, बूट्स दवाखाने पर भी हमले हुए थे।
मूवईट ट्रांसफर सॉफ्टवेयर का प्रयोग फाइलों को भेजने के लिए किया जाता है। कंपनी के अनुसार, वे सरकारी एजेंसियों से संपर्क में हैं और उनकी जांच में मदद कर रहे हैं।
अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश