• Wed. May 1st, 2024

16 करोड़ के इंतज़ार में टूट गयी ज़िंदगी की डोर, दुर्लभ बीमारी से जंग लड़ रही नूर फातिमा हार गयी ज़िंदगी की जंग

बीकानेर। शहर के चूनगरान मोहल्ले में दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal muscular atrophy) टाइप-1 से पीड़ित 7 माह की मासूम बच्ची नूर फातिमा (Noor Fatima) का मंगलवार को निधन हो गया. बेटी को बचाने के लिए जन सहयोग से 40 लाख रुपए की राशि एकत्रित की गई थी. नूर के इलाज के लिए सहयोग करने वाले लोगों को उसकी मौत (Demise) से बड़ा झटका लगा है. इस मासूम को बचाने के लिए 16 करोड़ रुपये की लागत वाला एक इंजेक्शन लगाया जाना था. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) से आयात किया जाना था.
सामान्य परिवार से आने वाले नूर फातिमा के पिता जिशान के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना संभव नहीं था. ऐसे में उनके परिजनों और मित्रों ने जनसहयोग से रुपये जुटाने का सिलसिला शुरू किया था.
इसके तहत 40 लाख रुपए एकत्र भी हो गए, लेकिन यह राशि 16 करोड़ रुपए की जरूरत को देखते हुए बेहद कम थी. ऐसे में नूर को समय पर यह आवश्यक इंजेक्शन न मिलने की वजह से उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई. मंगलवार को अस्पताल में डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.

क्या है ये बीमारी:
स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं. स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है. भारत में इसका अभी तक कोई इलाज नहीं उपलब्ध नहीं बताया रहा है. विदेशों में इलाज इतना महंगा है कि हर कोई अफोर्ड नहीं कर पाता. इसलिए डेढ़-दो साल में ही इस बीमारी के पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है.अब वापस देंगे सहयोग राशि
नूर के चाचा आकीद जमील ने बताया की करीब 30 लाख रुपये मासूम के पिता और चाचा के खाते में आए हैं. जबकि करीब 10 लाख रुपये सामाजिक संस्थाओं के पास हैं. इन संस्थाओं को बता दिया गया है कि यह राशि वापस रख लें. वहीं जिन लोगों ने सीधे खाते में राशि जमा करवाई है, उनको भी राशि वापस की जाएगी. अगर कोई व्यक्ति रुपए वापस नहीं लेगा तो जिला प्रशासन के सहयोग से इस राशि को ऐसी बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए भेजा जाएगा ताकि उनकी जान बच सके।

शुभम जोशी