• Fri. Apr 26th, 2024

आजाद भारत में पहली बार दिव्यांगजनो को सत्ता में भागीदारी, राजस्थान के 33 निकायों में पार्षद नियुक्त


राजस्थान।आजाद भारत में पहली बार दिव्यांगों को सत्ता में भागीदारी मिली है. ऐसा करने वाला राजस्थान देश में पहला राज्य बन गया है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने दिव्यांग जनों को सत्ता में भागीदारी देते हुए हर शहरी निकायों में दिव्यांगजनों को पार्षद के रूप में मनोनीत करने का फैसला लिया है, जिसमें से 33 जिलों की निकायों में पार्षद के रूप दिव्यांगजनों को नियुक्तियां दी गई है।
300 से ज्यादा दिव्यांगजन बनेंगे पार्षद-
राजस्थान में 300 से ज्यादा निकाह हैं ऐसे में प्रत्येक निकाय में एक एक दिव्यांग जनों की नियुक्तियां होनी है यानी सीधे तौर पर हम यह कहे तो राजस्थान में 300 से ज्यादा दिव्यांग जनों को पार्षद बनाया जाएगा।इस पर डीएलबी विभाग लगातार काम कर रहा है और जल्द ही लंबी लिस्ट जारी हो सकती है
देश में राजस्थान पहला ऐसा राज्य-
देश में राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां दिव्यांगों की शहरी निकायों में भागीदारी होना शुरू हो गया है. सत्ता और राजनीति में दिव्यांग जनों को समान अवसर मिल सकेगा. दिव्यांगजन अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने इस संबंध में लगातार सरकार से मांग की थी और उन्होंने विशेष योग्यजन न्यायालय में भी परिवाद दायर किया था,जिसके बाद में राजस्थान सरकार ने यह फैसला लिया था कि दिव्यांगजनों को भी शहरी निकायों में भागीदारी मिल सकेगी.

10 सालों से चल रही थी मांग-
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिव्यांगजन अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल की मांग पर यह फैसला लिया है. हेमंत भाई लगातार 10 सालों से इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए लगातार कोशिश में जुटे हुए थे. जिसके बाद में गहलोत सरकार ने अब दिव्यांग जनों को बड़ी राहत दी है और दिव्यांगों की भागीदारी भी तय कर दी है. सरकार के इस निर्णय के बाद में गोयल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त किया है।

शुभम जोशी