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बच्चों के खेलों का बदला चलन, ऑनलाइन गेमिंग में दिखा रहे रूचि

आज के जमाने में बच्चे और युवा पुराने खेलों से दूरी बना रहे हैं और मोबाइल, लैपटॉप में ऑनलाइन गेमिंग में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। पहले के जमाने में बच्चे मैदान मैं हॉकी, फुटबॉल और वॉलीबॉल खेलते हुए दिखाई देते थे। लेकिन अब इंटरनेट का जमाना आ गया है और युवा और बच्चे अपना समय मोबाइल में गेम खेलकर व्यतीत करते हैं। इसी को देखते हुए गेमिंग उद्योग भी नए-नए गेम लेकर आ रहा है।

ऑनलाइन गेम के प्रचलन को देखते हुए अब पुराने खेल लगभग विलुप्त होते नजर आ रहे हैं। मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों की मानसिकता पर भी बुरा असर पड़ता है। अलवर के बैंक कॉलोनी निवासी सूरज ने बताया कि आजकल माता-पिता अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं और बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते हैं।

इससे बच्चे गलत चीजें सीख रहे हैं जैसे खाना खाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल करना और बिना मोबाइल के खाना ना खाना। मोबाइल के जमाने में बच्चे चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं। गर्मियों की छुट्टी के चलते भी बच्चे घरों से बाहर ना निकल कर, घर में बैठकर ऑनलाइन गेम खेलने में अपनी रुचि दिखा रहे हैं।

इन गेमों के दीवाने हैं बच्चों से लेकर युवा
भारत के गेमिंग उद्योग में कई ऐसे गेम निकले हैं जिन्होंने बच्चों और युवाओं पर अपना जादू चला रखा है। इनमें पब्जी, फ्री फायर, कैंडी क्रश, टेंपल रन, लूडो किंग समेत कई और गेम्स शामिल हैं। कैंडी क्रश और लूडो यह दो ऐसे गेम्स है, जो ऑफिस में काम करने वाले लगभग सभी लोगों के मोबाइल में मिल जाएंगे। इन गेम्स को केवल बच्चे ही नहीं बल्कि, युवा भी खाली समय में खेलना पसंद करते हैं। अलंकी गेमिंग उद्योग की ओर से देखा जाए तो यह उनके लिए काफी फायदेमंद है। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर यह नुकसान है जो बच्चों पर दुष्प्रभाव डालता है। इसलिए शारीरिक उपयुक्तता के लिए आजकल बच्चों को बाहर खेले जाने वाले खेल भी खेलने चाहिए।

आशीष ठाकुर – हिमाचल प्रदेश