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हिमाचल प्रदेश में निवेशकों की बैठक

शिमला: हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने हेतु शिमला में दो दिवसीय इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन हो रहा है। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं उद्योगपतियों की समस्याओं को सुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में इन्वेस्टर्स मीट में किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) केवल कागजों तक सिमट गए हैं। इन्हें धरातल पर उतारा जाएगा, ताकि बेरोजगारों को रोजगार दिया जा सके।

इस बैठक में उन उद्यौगिक घरानों को बुलाया गया है, जिन्होंने पूर्व में राज्य सरकार के संग 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए समझौता कर रखा है, परंतु परियोजना अब तक सिरे नहीं चढ़ पाए। इनमें उद्योग विभाग से संबंधित 46 परियोजनाएं, बिजली विभाग की 20 और पर्यटन विभाग से जुड़ी 14 परियोजनाएं बताई जा रही हैं।

सुक्खू सरकार ने बुलाई प्रथम इन्वेस्टर्स बैठक
इनमें से अधिकतर परियोजनाओं पर कार्य या तो धीमी रफ्तार से चल रहा है या फिर अभी तक आरंभ ही नहीं किए गए। इनके आरंभ नहीं होने के कारण हिमाचल सरकार को जो राजस्व मिलना था, वह भी नहीं मिल पा रहा है। बेरोजगार लोगों को नौकरी भी नहीं मिल पा रही है। उद्योगपतियों की दिक्कतों को दूर करने हेतु सुक्खू सरकार ने प्रथम इन्वेस्टर्स मीट बुलाई है।

80 उद्योगपति बने हैं बैठक का हिस्सा 
हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि बड़ी परियोजना के संचालकों को इन्वेस्टर्स मीट में बुलाया गया है। इसमें उन्हें निवेश के लिए बोला जा रहा है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 31 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक है। परियोजना लगाने में जो बाधा आ रही है, उन बाधाओं को खत्म करने कोशिश की जाएगी।

बीजेपी सरकार की ज्यादातर परियोजनाएं नहीं चढ़ी सिरे
मंत्री चौहान ने कहा कि पिछली बीजेपी सरकार ने इन्वेस्टर्स मीट में 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, परंतु धरातल पर 27 हजार करोड़ की परियोजनाएं ही उतर पाई हैं। कांग्रेस सरकार अटके हुई सारी परियोजनाएं को धरातल पर उतारने की कोशिश कर रही है।

इसी मंशा से कांग्रेस सरकार पॉलिसी का नवीकरण कर रही है। उद्योगपतियों की सभी सुविधाएं एक छत के नीचे देने की कोशिश की जा रही है। परियोजना लगाने की मंजूरी की जटिल शर्तों का सरलीकरण किया जा रहा है।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश