तेहरान: ईरानी इस्लामिक गणराज्य ने अपनी सर्वप्रथम हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल बनाने का दावा किया है। इस मिसाइल का नाम फतह बताया जा रहा है। ईरान के सरकारी मीडिया आईआरएनए ने मंगलवार को इसकी तस्वीरें भी पेश की हैं। इसकी रेंज 1,400 किलोमीटर बताई जा रही है। सरकारी मीडिया के अनुसार, इसकी रफ्तार 15 हजार किमी प्रति घंटा है।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम राईसी के समक्ष अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी फोर्स रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने इस मिसाइल को पेश किया। ईरान का दावा है कि फतह मिसाइल संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे अत्याधुनिक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम समेत इजराइल राष्ट्र के आयरन डोम को भेद कर आक्रमण करने में काबिल है। अमेरिका और यूरोप के विरोध के पश्चात् ईरान ने कहा कि वह अपने मिसाइल प्रोग्राम को और विकसित करेगा।
पिछले वर्ष भी किया था ऐसा ही दावा
पश्चिमी देशों के सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान हमेशा अपनी मिसाइल की काबिलियतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। ईरान ने इस बार भी अपनी मिसाइल की विशेषताओं को लेकर कोई प्रमाण जारी नहीं किया है। इससे पूर्व पिछले वर्ष नवंबर माह में भी ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड के कमांडर आमिर अली हजीजादेह ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी मिसाइल को रोकना किसी के लिए भी असंभव होगा। ये प्रत्येक एंटी-डिफेंस को बर्बाद करने के काबिल है।
बैलिस्टिक मिसाइल 2 हजार की दूरी तक वार करने में सक्षम
ईरान ने पिछले माह 25 मई को 2 हजार किमी की दूरी वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परिक्षण किया था। ईरान ने कहा था कि उनकी ये मिसाइल मध्य-पूर्व एशिया में स्थित अमेरिका व इजराइल के बेस तक पहुंचने के काबिल है। आईआरएनए के अनुसार, इस मिसाइल को फारस की खाड़ी में गश्त करने वाले युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर तैनात किया गया है। यह बैलिस्टिक मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक से भी अधिक दूरी तक मार करने के काबिल है।
ईरान पर्वतों के नीचे कर रहा परमाणु हथियार का निर्माण
इससे कुछ दिन पूर्व अमेरिका की समाचार संस्था एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि ईरान अपनी न्यूक्लियर फैसिलिटी को इजराइल और अमेरिका के आक्रमण से बचाने का पूरा प्रयास कर रहा है। वो अब पहाड़ी क्षेत्र में धरती के नीचे परमाणु हथियार का निर्माण कर रहा है। इसकी सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई थीं। ईरान द्वारा परमाणु हथियार के निर्माण को रोकने हेतु उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर कई बार आक्रमण हुए हैं। नातांज न्यूक्लियर साइट पर स्टक्सनेट वायरस से आक्रमण किया गया था। यह इजराइल और अमेरिका में निर्मित वायरस था।
वर्ष 2010 में लगी थीं ईरान पर पाबंदियां
ईरान तकरीबन 22 वर्ष पूर्व एटमी ताकत हासिल करने का प्रयास कर रहा था। अमेरिका के साथ-साथ पश्चिमी देश, इजराइल और अरब वर्ल्ड को यह लगता है कि यदि ईरान ने न्यूक्लियर हथियार बना लिए तो इससे विश्व में खतरा जन्म ले सकता है। वर्ष 2010 में ईरान को रोकने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूरोपीआई संघ और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इसमें से अधिकतर अब भी जारी हैं।
साल 2015 में परमाणु हथियारों को लेकर हुआ था समझौता
वर्ष 2015 में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने हेतु एक समझौता किया गया था। इसमें ईरानी इस्लामिक गणराज्य, ब्रिटेन, चीनी जनवादी गणराज्य, फ्रांस गणराज्य, जर्मन संघीय गणराज्य, रूसी महासंघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सम्मिलित थे। इस समझौते में यह फैसला लिया गया था कि ईरान समय-समय पर अपने न्यूक्लियर कार्यक्रम को और आगे नहीं बढ़ाएगा। हालांकि वर्ष 2018 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था। परिणामस्वरूप ईरान पर दोबारा पाबंदियां लगा दी गईं।
हालांकि न्यूक्लियर समझौता समाप्त होने के पश्चात् से ईरान ने यूरेनियम को 60 प्रतिशत एनरिच कर लिया है। मामले की जांच करने वाले लोगों के अनुसार ईरान परमाणु हथियार के लिए अब 83.7 प्रतिशत शुद्ध यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। आपको बता दें कि हथियार बनाने की क्षमता हेतु 90 प्रतिशत शुद्ध यूरेनियम कणों की आवश्यकता होती है।
अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश