• Wed. May 1st, 2024

संसाधनों के अभाव में गाँवो में फैल रही महामारी को रोकना बड़ी चुनौती

पंचायत चुनावों का अंत हो चुका है, मतगणना भी हो ही गई । जिस जीत के लिए बीजेपी ने इस बार के पंचायत चुनावों में पूरी ताकत झोंकी वो जीत उसे नहीं मिली लेकिन अब यूपी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाली है। वो चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में corona का प्रभाव । शहरी क्षेत्रों में कैमरा है सोशल मीडिया है शिकायत करने के लिए पुलिस है और मदद के लिए हजारों संगठन …लेकिन जो ग्रामीण क्षेत्र हैं वहां कुछ भी नहीं। अब तक गांव अछूते थे इस महामारी से लेकिन पंचायत चुनावों के बाद वहां के हालात बिगड़ते हुए नजर आ रहे हैं । आलम ये है कि यूपी के गोंडा में चकरौत गांव में 22 दिन में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई । सभी में corona के लक्षण थे पर परिवार ये मानने को तैयार ही नहीं की मौत का कारण corona है। वहीं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में बिलासपुर गांव के इलाके में कुछ लोगों की मौत की जांच करने जब स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो गांव वालों ने एंट्री ही नही दी । उन्हें डर था स्वास्थ्य विभाग की टीम से उन्हें corona बुखार हो जाएगा । सिलसिला यहीं नहीं रुकता…. मेरठ के शाहजहांपुर में पठान के कस्बे में पिछले कुछ ही दिनों में 25 से ज्यादा मौतें हो गई है लेकिन ना लोगों का कोई टेस्ट करने वाला है ना वो कराना चाहते हैं। ये तो दो या तीन केस है , पर गांव में corona कैसे अब हाहाकार मचा रहा है उसका शहरी आबादी को कोई अंदाजा भी नहीं । हां लेकिन कुछ क्षेत्रों में गांव में corona केसेस ज्यादा कैसे है और वो असल आंकड़ा सामने भी नही आ पा रहा इसका अंदाजा कुछ डॉक्टर जरूर लगा रहे हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायत दिवस के मौके पर जब पंचायतों से बात की थी तो कहा था सुनिश्चित किया जाए की corona से गांव को बचाया जाए पर अगर यही बात उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री अमल में ले आते तो क्या आज गांवों में लोग corona से मर रहे होते ?? पंचायत चुनावों ने गांवों की सरकार नहीं बनाई बल्कि गांवों में मच्छर मक्खियों की तरह मर रहे ग्रामीणों की कब्र खोदी है । अगर वक्त रहते हालात नही संभाले गए तो गांवों की जगह सिर्फ बंजर जमीन बचेगी ना कोई पानी देने वाला होगा ना खेती करने वाला । उन संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए जो शहर में लोगों की मदद कर रही है । उनमें से कुछ ने भी अगर हाथ बढ़ाया तो पंचायत चुनाव की इस लापरवाही से जोखिम में डाली गई कई जान बच सकती है ।

मेघना सचदेवा