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देश की वर्तमान चुनौतियाँ और हालातों पर आम आदमी की चुप्पी

मेरे देश के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है corona । इस महामारी ने हमे घुटनों के बल लाकर खड़ा कर दिया है। बड़े बड़े लोगों का अहंकार चकना चूर कर दिया है । हर कोई किसी न किसी तरह इस महामारी से मची तबाही की जद में है । लेकिन क्या वाकई हम अब भी सुधरे हैं ? क्या अब भी हमारे नेता सही रास्ते पर आए हैं? क्या अब भी रक्तरंजित राजनीति का खेला खत्म हो पाया है ? क्या अब भी हिंदू मुस्लिम वोट बैंक की साजिश का अंत हुआ है ? नहीं इनमे से कुछ नही हुआ ! कहते हैं इंसान गिर कर सीखता है पर हमारा तो पूरा देश ही त्राहिमाम कर रहा है फिर भी हमने क्या सीखा ? महामारी के दौरान एक राज्य हिंसा की आग में जल रहा है । हिंदू मुस्लिम के नाम पर फिर नई चिंगारी को आग दी जा रही है । जहां हवा के लिए लाखों लोग तरह रहें हैं वहां खून की नदियां बहाई जा रही हैं । और आम जनता सिर्फ़ कठपुतली बन नाच रही है इशारों पर । हम न सिर्फ जो जैसा है उसे वैसा एक्सेप्ट करने को तैयार हो चुके हैं बल्कि मुख्य मुद्दों से हमारा ध्यान भटकाने वाले सभी रास्तों पर खुद ही चलने को तैयार भी हैं । समझ से परे है की कब भारत का लोकतंत्र इतना कमज़ोर हो गया की हम सवाल करना ही नहीं चाहते…हम आपस में लड़ के एक दूसरे के दुश्मन बनना मंजूर कर चुके हैं । हम हुक्मरानों को बचाने के लिए खुद को कुर्बान करना मंजूर के चुके हैं । हम मंजूर कर चुके हैं वो सब जो हमे बोलने की आजादी ना दे और चुप रहने पर मजबूर कर दे । ये हिंसा कोई पहली बार नहीं हुई कई बार हुई पर हर बार हम नजरंदाज करते रहे । पर आज जिस हालात में भारत है क्या अब भी है चुप रहेंगे हम और आप ? अगर हां तो इंतजार कीजिए अपनी हत्या का , किसी दिन सिस्टम की भेंट चढ़ा दिए जाओगे या ऐसी ही हिंदू मुस्लिम की राजनीति में कुर्बान हो जाओगे । और हां तुम्हारी ही तरह ना कोई कुछ बोलेगा ना सवाल करेगा बस नजरअंदाज करेगा । ये सब यूहीं चलता रहेगा और भारत का कोई न कोई राज्य हिंसा की आग में जलता रहेगा !

मेघना सचदेवा