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मणिपुर में हालात बेकाबू हो चुके बेकाबू

Jul 7, 2023 ABUZAR

3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मणिपुर में शुरू हुए जातीय हिंसा को दो महीने से ज्यादा वक्त बीत चुके हैं, फिर भी भड़की इस हिंसा की आग थमने का नाम नहीं रही है। इस हिंसा के कारण मणिपुर के ज्यादातर हिस्सों में दहशत का माहौल हो चुका है। वहीं हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जो विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इस बीच खबर आ रही है कि विष्णुपुर जिले में कुकी उग्रवादियों में अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें एक किशोर की जान चली है थी।

महिलाओं ने किया प्रदर्शन

एक किशोरे की जान जाने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपना गुस्सा जाहिर कर दिया है। गुस्साए स्थानीय पुरुष और महिलाओं ने मोइरांग में सड़कों पर देर तक प्रदर्शन किया गाय। मिली सूचना के मुताबिक बड़ी संख्या में कुकी उग्रवादियों ने दुसरे समुदाय के लोगों के ऊपर हमला बोल दिया गया। जब तक वो संभल पाते तब तक एक किशोर को गोली लग गई।

भारतीय सेना ने की AFSPA की मांग

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच सेना ने AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट) की मांग किया गया है। मणिपुर में भारतीय सेना और असम राइफ़ल की टुकड़ियां मौजूद हो गए हुआ। लेकिन AFSPA ना होने की वजह से सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई एक्शन नहीं ले रहा है। इसलिए इसकी मांग की जा रही है।

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 3000 लोग घायल हैं। हालात पर काबू पाने के लिए मणिपुर में इस समय मुख्यमंत्री के कहने के बाद 3 मई से लेकर अभी तक भारतीय सेना और असम राइफ़ल की कुल मिलाकर 123 टुकड़ियां तैनात हो चुकी है। लेकिन आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) ना होने की वजह से पूरी ताकत के साथ सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई कड़ा एक्शन नहीं ले पा रही।

सिस्टम फेल होना है बड़ी वजह

बता दें कि इस समय पुरे मणिपुर में हिंसा को काबू करने के लिए 40,000 सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है लेकिन फिर भी हालत ठीक नहीं हैं उसकी वजह पूरी सिस्टम का फेल होना बताया गया है मणिपुर में NH 102, 202, 2 और 37 हैं। लेकिन इसमें से केवल NH 37 चल रहा है और बाकी जगह ब्लॉक है।