चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग का जश्न पूरा देश द्वारा मनाया जा रहा है। इसरो की पूरी टीम को देशभर से शुभकामनाएं मिल रही हैं। इस टीम में दो युवा वैज्ञानिक भी शामिल हो चुके हैं।, जिन्होंने देश के साथ राजस्थान का मान भी बढ़ाया है। दोनों अभी इसरो के त्रिवेंद्रम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में कार्यरत हो गए हैं। चंद्रयान-3 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचाने में जयपुर निवासी गौरव वर्मा और राजगढ़ अलवर के वेद प्रकाश शर्मा का अहम योगदान रहा है।
दोनों वैज्ञानिक चन्द्रयान-3 के रॉकेट और क्रायोजेनिक इंजन के विभिन्न भागों में काम आने वाली धातुओं का परीक्षण करने वाली टीम का हिस्सा रहे। धातुओं के पुख्ता परीक्षण में दोनों ने भागीदारी निभाई। राजस्थान पत्रिका ने दोनों वैज्ञानिकों से खास बातचीत की।
हम चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट एलवीएम-3 की परीक्षण टीम का हिस्सा रहे। इस रॉकेट के जरिए ही चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतारा जा चुका है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। देश के साथ ही यह हमारे लिए भी बड़ी उपलब्धि है। यह कहना जयपुर के त्रिवेणी नगर निवासी युवा वैज्ञानिक गौरव वर्मा का। वर्मा ने शहर के एक निजी स्कूल से पढ़ाई की इसके बाद एमएनआईटी से धातु की अभियांत्रिकी में पढ़ाई की फिर आईआईटी बोम्बे से एमटेक किया। गौरव के घर में भी खुशी का माहौल बना हुआ है।
राजगढ़ के तालाब गांव निवासी युुवा वैज्ञानिक वेद प्रकाश शर्मा भी गौरव वर्मा के साथ टीम का हिस्सा रहे हैं। वेद प्रकाश का कहना है कि परिजन का पहले से ही पता था मैं चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट एलवीएम-3 की परीक्षण टीम में शामिल हूं। चंद्रयान-3 जैसे ही चंद्रमा की सतह पर पहुंचा सबसे पहले पापा का कॉल आया और मुझे बधाई दी। मिशन में शामिल होेना मेरे लिए गर्व की बात बताया गया है।