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हाईवे से कितनी दूरी पर बनाना चाहिए घर, जानें ये ज़रूरी नियम

इस समय देश में हर जगह हाइवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। कई बार देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में सड़क के किनारे कई घर-मकान होते हैं, या फिर ज़मीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया होता है। हालांकि बाद में सड़क निर्माण के दौरान इन्हें हटा दिया जाता है। ऐसे ही मामले कई बार शहरों में भी देखने को मिलते हैं। पूरी जानकारी न होने के कारण लोग घर तो बना लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। इसलिए अच्छा यही है कि किसी भी तरह के निर्माण से पहले पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। यह पता होना चाहिए कि घर बनाते समय हाईवे से कितनी दूरी रखनी चाहिए। इस बारे में कौन से नियम हैं।

यदि आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो बिलकुल भी चिंता न करें, आज के बाद आप काफ़ी चीज़ें समझ जाएंगे और दूसरों को सही सलाह भी दे पाएंगे। भविष्य में आप किसी भी तरह की परेशानी से बच सकने में सक्षम होंगे। जब हम मकान का निर्माण करते हैं तो हमें कई सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करना होता है।

क्या कहता है नियम
हर राज्य में मकान की दूरी के अलग-अलग नियम होते हैं, जिनकी जानकारी आप अपने शहर की नगर पालिका निगम में जाकर ले सकते हैं। हर श्रेणी की सड़क के लिये राईट ऑफ वे निर्धारित है। उसकी सीमा के बाहर निर्धारित ऑफसेट छोड़कर, डायवर्टेड प्लॉट पर सर्वसंबधित शासकीय विभागों से NOC ले कर रहवास/व्यवसायिक भवन नियमों के अनुसार बना सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सड़क नियंत्रण अधिनियम 1964 में यह साफ अंकित है कि सड़क के मध्य रेखा से राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग में 75 फुट तथा प्रमुख जिला सड़क में 60 फुट एवं साधारण जिला सड़क में 50 फुट अंतराल छोड़ना आवश्यक है। यह दूरी छोड़ने के पश्चात ही कोई खुला निर्माण या सीमा आदि निर्माण कार्य कर सकते हैं।

कितनी होनी चाहिए सड़क से मकान तक की दूरी?
नियमों के मुताबिक हाईवे के मध्य से दोनों ओर 75-75 मीटर दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा। यदि निर्माण बेहद जरूरी है तो एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) तथा राजमार्ग मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण अधिनियम की धारा 42 के तहत नई व्यवस्था में स्पष्ट है कि हाई-वे के मध्य से 40 मीटर तक निर्माण की इजाजत कतई नहीं मिलेगी, जबकि 40 से 75 मीटर के दायरे में निर्माण बहुत जरूरी है तो भू-स्वामी को एनएचएआई से अनुमति लेनी होगी। एनएचएआई की सिफारिश पर राजमार्ग मंत्रालय अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करेगा। राजमार्ग मंत्रालय की एनओसी के पश्चात ही संबंधित विकास प्राधिकरण अथवा जिला पंचायत नक्शा पास करेगा।

आशीष ठाकुर – हिमाचल प्रदेश