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पाकिस्तान में बने गृहयुद्ध के हालात, हो रहा है नरसंहार

Apr 18, 2021 Reporters24x7 ,

भारत के पडोसी पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात उत्पन्न हो चुके है, पाकिस्तानी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक-पाकिस्तान (टीएलपी) और सरकार के बीच चल रहा संघर्ष और अधिक तेज हो चुका है। प्रतिष्ठित पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक ताजा जानकारी यह है कि, लाहौर में पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस ने मिलकर लाहौर स्थित यतीम खाना चौक के आस-पास के इलाके को प्रदर्शनकारियों से आज़ाद करवाने के लिए एक ऑपरेशन की शुरुआत की गयी थी लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

रिपोर्ट कहती है, जब पुलिस ने यतीम खाना चौक के आस-पास के इलाके को प्रदर्शनकारियों के कब्जे से आज़ाद करवाने की कोशिशें शुरू की तभी प्रदर्शनकारियों ने तक़रीबन 50,000 लीटर पेट्रोल से भरे टैंकर और पेट्रोल बमों तथा हथियारों के साथ उनके ऊपर हमला बोल दिया, रिपोर्ट में आगे लिखा है कि, इस मुठभेड़ में कई पुलिस वाले घायल हुए हैं। जिसके बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई और उसने पुलिस थाने से ही पोजीशन ले ली लेकिन बाद में प्रदर्शनकारियों ने थाने पर भी हमला बोल दिया और एक DSP समेत चार पुलिस कर्मचारियों का अपहरण कर लिया है।

पंजाब पुलिस ने डॉन के पत्रकार हामिद मीर को बताया है कि, जिन पुलिस कर्मियों को अगवा किया गया है उन्हें प्रदर्शनकारी अपने साथ मरकज़ लेकर गए है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में 11 से ज्यादा पुलिस कर्मियों को गोली लगी है जो सूबे के अलग-अलग अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे है।

क्या कहती है TLP –
पंजाब पुलिस के बयान के बाद TLP के प्रवक्ता ने भी एक वीडियो जारी करते हुए बयान दिया है कि, आज सुबह तक़रीबन 8 बजे के आस-पास लाहौर मरकज़ में सेना ने अचानक हमारे ऊपर हमला बोल दिया था जिसमें हमारे बहुत से कार्यकर्ता शहीद हो गए है। उन्होंने कहा है कि हम अपने कार्यकर्ताओं को तब ही दफ़नायेंगे जब फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तानी सरकार देश से बाहर निकाल देगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि पाकिस्तानी सरकार और हमारे बीच में जो पूर्व में समझौता हुआ था जब तक सरकार उसे लागू नहीं करती है यह संघर्ष यूँही जारी रहेगा।

क्यों हो रहे हैं पाकिस्तान में प्रदर्शन –
फ्रांस में आपको याद होगा 7 जनवरी 2015 को शार्ली एब्दो नामक एक पत्रिका के हेड क़्वार्टर पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें कई सारे निर्दोष पत्रकारों की जानें आतंकवादियों ने ले ली थी, उनका गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने इस्लामिक पैग़म्बर कहे जाने वाले मोहम्मद साहब के एक कार्टून को अपनी पत्रिका में छापने की गलती की थी। आतंकवादियों ने खोज-खोजकर दफ्तर में कार्य कर रहे पत्रकारों को बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था।

2015 के बाद छिट-पुट घटनायें हो रही थी, कुछ घटनायें हिंसात्मक भी रही थी लेकिन ज्यादातर घटनाएं फ़्रांस में ही हो रही थी, फ़्रांस के ही लोगों को निशाना बनाया जा रहा था। गौरतलब है कि फ़्रांस के राष्ट्रपति ने हाल ही में पुनः शार्ली एब्दो को मोहम्मद साहब का कार्टून पत्रिका में छापने की इज़ाज़त दे दी है, उधर फ़्रांस के राष्ट्रपति ने इज़ाज़त दी और इधर पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और सरकार के ऊपर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

पाकिस्तानी सरकार ने टीएलपी को शांत करने के लिए उनके साथ कुछ दिनों पहले एक समझौता भी किया था कि वह इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे लेकिन जैसा हमेशा होता है पाकिस्तान के विरोध को न ही वैश्विक समर्थन ही मिला और न ही फ़्रांस ने उसकी कट्टरपंथी आवाज पर कोई ध्यान ही दिया, वैश्विक मंचों से बात न बनते देख पाकिस्तानी सरकार द्वारा पालित यह संगठन अब सरकार को ही ख़त्म कर देने पर आमादा हो चुके है। इसी के तहत इन दिनों पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात बन चुके है।

ताज़ा जानकारी के अनुसार इस मामले में अब तक हज़ारों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी है। यदि हम सरकारी सम्पत्तियों के नुकसान के बात करें तो उसका अनुमान भी लगा पाना मुश्किल होगा। कहते हैं पहले ही गरीबी के हालातों से पाकिस्तान तड़प रहा था उसमें इन प्रदर्शनों ने आटे को और भी गीला कर दिया है।

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धर्मेंद्र सिंह