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कामयाब हुआ चंद्रयान-3 का लॉन्च

श्रीहरिकोटा: चंद्रयान-3 का शुभारंभ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से दोपहर ढाई बजे हुआ। यह मिशन दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका लक्ष्य चांद का वह क्षेत्र (शेकलटन क्रेटर) है जिसे कोई भी अन्य देश का अभियान तक नहीं पहुंच पाया है। एलवीएम3 रॉकेट के साथ चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से पहुंचने हेतु चंद्रयान-3 में कई प्रकार की सुरक्षा प्रणालियों का समावेश है।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग अनुत्तीर्ण हुई है। यह देश के लिए गर्व की बात है। परंतु, चंद्रमा पर पहुंचने का सफर आसान नहीं है। इसमें कई बाधाएं और संकट हैं। हम आपको उनमें से पांच प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करेंगे। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने जीएसएलवी-एफ 06 रॉकेट की लॉन्चिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

विनोद श्रीवास्तव का कहना है, ‘चंद्रयान-3 को लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसरो ने लॉन्चिंग की सबसे कठिन परीक्षा पार कर ली है। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल हुई है। अब यह पृथ्वी के मंडल में घूमेगा।’

चंद्रयान-3 के दो भाग हैं। एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक लैंडर मॉड्यूल। प्रोपल्शन मॉड्यूल का भार 2148 किलोग्राम है। यह लैंडर और रोवर को लॉन्च व्हीकल से 100×100 किलोमीटर के चांद के मंडल में पहुंचाएगा। इसका प्रमुख कार्य लैंडर मॉड्यूल को लॉन्च से लेकर लैंडर के पृथक होने तक सुरक्षित रखना है।

चंद्रयान-3 का दूसरा भाग लैंडर मॉड्यूल है। इसका काम चांद के मंडल में पहुंचने के पश्चात् चांद की सतह पर अवतरित होना है। यह दोनों ही कदम बेहद मुश्किल हैं और इनमें कई संकट आते हैं।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश