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अफगानिस्तान में 80 छोटी छात्राओं को दिया गया जहर

काबुल: अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात यानि तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में दो अलग-अलग मामलों में प्राथमिक पाठशाला की 80 छोटी छात्राओं को जहर दिया गया। सारी लड़कियों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसकी जानकारी क्षेत्र के शिक्षा अधिकारी ने रविवार को दी। आपको बता दें कि 15 अगस्त 2021 को तालिबान के सत्ता में आने के बाद का यह पहला मामला है।

तालिबान पहले से ही लड़कियों की छठी कक्षा से आगे की शिक्षा पर रोक लगा चुका है। जिन पाठशालाओं में लड़कियों को जहर दिया गया है वह अफगानिस्तान के सर-ए-पुल प्रांत में दोनों विद्यालय एक दूसरे के पास बताए जा रहे हैं। दोनों विद्यालय एक दूसरे के पास बताए जा रहे हैं। एक के बाद एक इन विद्यालयों को निशाने पर लाया जा रहा है।

छोटी लड़कियों को षड्यंत्र के तहत दिया गया जहर

सर-ए-पुल प्रांत के शिक्षा विभाग के अफसर ने बताया कि वह मामले की जांच कर रहे हैं। अभी तक यह मालूम नहीं पड़ा है कि लड़कियों को जहर कैसे दिया गया। प्रारंभिक जांच से तो यह किसी का षड्यंत्र लग रहा है। किसी ने तीसरी पार्टी के जरिए इस घटना को अंजाम दिया है। जिन लड़कियों को जहर दिया गया वह कक्षा एक से लेकर छठी जमात की बताई जा रही हैं।

ऐसी घटना वर्ष 2015 में अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य यानि अमेरिका के सहयोग वाली सरकार में हुई थी। जिसमें हेरात प्रांत की 600 लड़कियों को विष दिया गया था। तब भी किसी संगठन ने उस घटना की जिम्मेदारी नहीं ली थी। हालांकि उस वक्त कई मानवाधिकार के संगठनों ने तालिबान को इसका जिम्मेदार बताया था।

तालिबान सरकार चाहती है दुनिया की मान्यता

गौर करने वाली बात यह है कि यह घटना तब सामने आई है जब 4 दिन पूर्व ही तालिबान ने दुनिया से मान्यता देने की बात की थी। इसी सिलसिले में कतर राज्य के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन थानी पिछले महीने की 12 तारीख यानि 12 मई को अफगानिस्तान के कंधार गए थे। उन्होंने अफगान तालिबान के सर्वोच्च नेता हेबुतुल्लाह अखुंदजादा से कंधार में गुप्त बैठक की थी। इस बैठक की जानकारी बुधवार को सामने आई।

एक रिपोर्ट के अनुसार थानी ने अखुंदजादा को स्पष्ट कहा कि यदि वो चाहते हैं कि दुनिया तालिबान हुकूमत और अफ़ग़ान सरकार को मान्यता दे तो उन्हें औरतों को उनके अधिकार देने होंगे। इसी मामले पर बातचीत अटक गई।

ईरान में भी हुई थी बिल्कुल ही ऐसी घटना

इस वर्ष मार्च माह में ईरानी इस्लामिक गणराज्य में भी ऐसी घटना हुई थी। वहां लड़कियों को पढ़ने से रोकने हेतु विष दिया गया था। इस बात का खुलासा उप स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा था कि घोम शहर में नवंबर 2022 के पश्चात् से रेस्पिरेट्री पॉइजनिंग के सैकड़ों मामले सामने आए थे।

उनका कहना था कि पाठशालाओं में पानी को दूषित किया जा रहा है, जिसमें लड़कियों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इनमें उल्टी, जबरदस्त बदन दर्द और दिमागी परेशानी भी सम्मिलित है। उनकी हालत इतनी खराब हो रही है कि इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश