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भारत में आयोजित हो रही एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन भारत गणराज्य के गोवा में हो रहा है। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने एसीओ के सदस्य देश जैसे रूसी महासंघ, पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र, चीनी जनवादी गणराज्य और उज़्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाक़ात की। शुक्रवार को गोवा में जयशंकर ने नमस्ते कर पाकिस्तानी विदेश मंत्री का स्वागत किया, बदले में बिलावाल ने भी हाथ जोड़ा। आपको बता दें कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री से हाथ मिलाने के 10 मिनट पश्चात् ही भारतीय विदेश मंत्री ने आंतकवाद के मुद्दे को बैठक में उठाया।

जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद संसार के लिए बड़ा खतरा है। इसे किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से सभी रूपों में लड़ना पड़ेगा और उसे हर हाल में रोकना होगा। सीमा पार के आतंकवाद को भी रोकना बेहद आवश्यक है। आतंकवाद से लड़ाई एसीओ के वास्तविक लक्ष्यों में से एक है। इस बैठक में रूस, चीन, पाकिस्तान के साथ बाकि सदस्य देश भी सम्मलित हुए हैं। वहीं, गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी और रुसी विदेशी मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा की थी। आपको बता दें कि पाकिस्तान के साथ भारत की किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं होगी।

बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर के भाषण की ज़रूरी बातें

  • जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी उस समय भी आतंकवाद बिना रुके जारी था।
  • आतंकवाद को अनदेखा करना हमारी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा होगा।
  • आतंकवाद का वित्त पोषण करने वाले चैनलों को रोका जाना चाहिए।
  • एस जयशंकर ने अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाने की भारत की मांग को पुनः दोहराया है।

पाकिस्तान ने कहा- भारत ने शिकायत का अवसर नहीं दिया

भारत में आयोजित हो रही एससीओ की बैठक के समय पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जेहरा ने बयान दिया है कि अभी तक बैठक में सब कुछ सही चल रहा है। भारत ने हमें अभी तक शिकायत का कोई भी अवसर नहीं दिया है। वहीं, गुरुवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक वीडियो पेश कर यह कहा था कि वह एससीओ की बैठक में चीन और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। इसके अलावा वह भारत में दो इंटरव्यू भी देंगे। बैठक के समय वह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मिले।

करीब 12 वर्ष बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत दौरे पर

एससीओ की बैठक में सम्मलित होने हेतु पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावाल भुट्टो भी गोवा पहुंचे हैं। वह 12 वर्ष के पश्चात् भारत में आने वाले प्रथम विदेश मंत्री हैं। इससे पूर्व वर्ष 2011 में पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत में आई थीं।

भारत में आगमन के पश्चात् बिलावल भुट्टो ने कहा कि मैं गोवा में आकर बेहद प्रसन्न हूं, मुझे आशा है कि एससीओ की बैठक सफ़ल साबित होगी। वहीं, पाकिस्तान से निकलते वक़्त उन्होंने कहा था कि इस बैठक में भाग लेने का मेरा निर्णय बताता है कि पाकिस्तान के लिए एससीओ कितना महत्वपूर्ण है। मैं सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ चर्चा करने लिए काफ़ी उत्साहित हूं।

एससीओ से जुड़े कुछ अन्य अपडेट

  • पाकिस्तानी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि इस बैठक के लिए जाना एससीओ के चार्टर के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दिखाता है। हम क्षेत्र में स्थिरता और शांति को कायम करने हेतु अपनी जिम्मेदारी को निभाने को तैयार हैं।

  • एससीसो के सदस्यों देशों के मध्य राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि इस पर अभी तक कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। प्रस्ताव पारित होने के पश्चात् एससीओ के सदस्य देश आपस में एक-दूसरे की मुद्रा में व्यापार कर सकेंगे। उन्हें फ़िर अमेरिकी डॉलर वाली मुद्रा पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

  • विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी ईआर दम्मू रवि ने कहा कि इस बैठक में सम्मलित होने वाले विदेश मंत्री ईरानी इस्लामिक गणराज्य और बेलारूस गणराज्य को एससीओ का स्थायी सदस्य बनाने पर चर्चा करेंगे। इस पर निर्णय जुलाई में लिया जा सकता है। अभी अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।

27 और 28 अप्रैल को हुई थी एसीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक

इस बैठक के पूर्व पिछले माह 27 व 28 अप्रैल को भारत की राजधानी नई दिल्ली में एससीओ सदस्यों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित हुई थी। इसकी अध्यक्षता भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। चीन के रक्षा मंत्री इस बैठक में सम्मलित होने हेतु भारत आए थे। यह वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के पश्चात् चीन के किसी भी मंत्री की प्रथम भारत यात्रा थी।

15 जून 2020 को केंद्र शाषित प्रदेश लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था और चीन की पीएलए के 38 सैनिकों की मृत्यु हुई थी। हालांकि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने केवल 4 सैनिक मारे जाने की बात को माना था। यह झड़प करीब 3 घंटों तक चली थी।

भारत गणराज्य के रक्षा मंत्री ने चीनी जनवादी गणराज्य के रक्षा मंत्री के साथ बात की थी। इस समय शांति को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय रिश्तों के पूरे आधार को समाप्त कर दिया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से संबंधित सारे मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार ही हल किया जाना चाहिए। वो चीन के अतिरिक्त भी कुछ अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों से मिले।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश