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पाकिस्तान और चीन की कोशिशों के बावजूद तालिबान को किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं।

                तालिबान ने कहा है कि न्यूयॉर्क में होने जा रही संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होकर दुनिया के नेताओं को संबोधित करने दिया जाए। तालिबान ने दोहा में मौजूद अपने प्रवक्ता सुहेल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का राजदूत भी नियुक्त कर दिया है।तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस को चिट्ठी लिखी है। मुत्ताकी ने इस चिट्ठी में मांग रखी है कि अफगानिस्तान की ओर से उन्हें भी यूएनजीए में बोलने दिया जाए।बीते महीने तक गुलाम इजाकजल अफगानिस्तान सरकार का यूएन में प्रतिनिधित्व कर रहे थे। हालांकि, तालिबान ने अपनी चिट्ठी में लिखा है।संयुक्त राष्ट्र में सीट पाने के लिए तालिबान की चिट्ठी को नौ सदस्यीय क्रीडेंशियल कमेटी के आगे भेजा गया है। इस कमेटी में अमेरिका, चीन, रूस भी सदस्य हैं। इसके अलावा इस कमेटी में बहमास, भूटान, चिली, नामीबिया, सिएरा लियोन और स्वीडन शामिल हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी समूह को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने में यह बहुत बड़ा कदम होगा। अंतरराष्ट्रीय मान्यता ही एक मात्र ऐसा जरिया है जिसके जरिए दूसरे देश तालिबान पर समावेशी सरकार और मानवाधिकारों खासतौर पर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का दबाव बना सकता है।अफगान की चुनी हुई सरकार के यूएन एंबेसेडर ही देश का प्रतिनिधित्व करते रहे थे।

सतीश कुमार