(NCP) में जारी वर्चस्व की लड़ाई में एक नया मोड़ आ गया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भतीजे अजित पवार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया गया है। और खुद पार्टी के नए मुखिया बनाए जा चेक हैं। अजित पवार खेमे की तरफ से चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी दे दी गई है। बताया जा रहा है कि हाल ही में हुई एनसीपी नेताओं (अजित पवार गुट) की बैठक में सर्वसम्मति से अजित दादा को एनसीपी का अध्यक्ष चुना जा चुका है। शरद पवार ने गुरुवार को नई दिल्ली में NCP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जा चुकी है।
चुनाव आयोग के समक्ष दायर याचिका में अजित पवार गुट ने दावा किया कि 30 जून को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि पार्टी लोगों के कल्याण के अपने उद्देश्यों से भटक रही है और इसलिए उन्होंने शरद पवार को एनसीपी अध्यक्ष के पद से हटाने का फैसला किया। साथ ही अजित पवार को शीर्ष पद के लिए चुना गया है। इसकी जानकारी चुनाव आयोग को बुधवार को मिली थी।
इससे पहले अजित पवार खेमे ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से एनसीपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल और जितेंद्र आव्हाड को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने के लिए कहा है। शरद पवार नीत एनसीपी ने स्पीकर नार्वेकर के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया है, जिसमें अजित पवार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले 8 अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
जानकारों का कहना है कि शिवसेना विभाजन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक विधायक दल राजनीतिक पार्टी से अलग स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकता है। इसका मतलब यह है कि विधायकों का समूह अपने दम पर पार्टी से जुड़ा निर्णय नहीं ले सकता है। शरद पवार को पार्टी मुखिया के पद से उतारकर उनकी जगह अजित पवार को लाना, यह साबित करने के लिए है कि उनका खेमा ही असली एनसीपी यानी राजनीतिक दल है।