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असम के आम नागरिक पोलिस की कारवाही से हैं काफी खफा।

              असम मे गुरुवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसक संघर्ष में मरने वालों की तादाद तीन हो गई है. पुलिस फायरिंग के विरोध में शुक्रवार को इलाके में 12 घंटे बंद रखा गया. आखिर यह मामला इतना क्यों बढ़ गया,lशुक्रवार को बंद के दौरान पथराव और पुलिस के वाहनों पर हमले की छिटपुट घटनाओं की खबरें मिलीं।प्रभावित क्षेत्र में भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। इलाके का दौरा करने जा रहे कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को भी रोक दिया गया है। क्या है मामला असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बीती 10 मई को सत्ता संभालने के बाद ही राज्य में सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण हटाने का एलान किया था। उसी के तहत राज्य के विभिन्न हिस्सों में ऐसी कार्रवाई की जा रही है. पहले भी कुछ इलाकों में इस दौरान हिंसक झड़पें हुई थी। इसी कवायद के तहत गुरुवार को भारी पुलिस बल के साथ दरंग जिले के सिपाझार इलाके में अवैध अतिक्रण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी।इस वीडियो में एक व्यक्ति पुलिसवाले के पीछे लाठी लेकर दौड़ता नजर आ रहा है. लेकिन उसे घेर कर जब बाकी पुलिसवाले उस पर लाठी बरसाते हैं तो वह अधमरा हो जाता है। उसके बाद पुलिस का फोटोग्राफर उसके शरीर पर कई बार कूदता नजर आता है. स्थानीय पत्रकार अभिजीत मजूमदार बताते हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस के अभियान के दौरान उस व्यक्ति की बेटी की बांह में फ्रैक्चर हो गया था। इसी से नाराज होकर उसने लाठी लेकर पुलिसवाले को दौड़ा लिया था। बाद में उसे गोली मार दी गई और लाठी से पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई. कैसे बढ़ा विवाद घटनास्थल पर मौजूद सुकुर अली बताते हैं।घायल पुलिसवालों में एक की हालत गंभीर है। उनको गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया गया है। दरंग जिले के पुलिस अधीक्षक और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के भाई सुशांत बिस्वा सरमा बताते हैं।हम अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर गए थे। लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया । बाद में लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।

सतीश कुमार