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चुनावी खेल और अपने हिसाब से सुविधाओं के बंदरबांट की राजनीति

राजनीतिक पार्टियों के लिए नफा नुकसान सिर्फ चुनावी खेल है …. उन्हें देश के नफा नुकसान या किसी की जान से ज्यादा जरूरी है वोट , वो वोट जो उन्हे एक बार फिर से सत्ता की चाबी सौंप देगा । इस चाबी के जरिए वो जनता की हर जरूरत की चीज़ को तिजोरी में बंद कर सकते हैं और जब जब वोट करने जनता निकले तो इन्ही जरूरत के सामान का लालच देकर उन्हें गुमराह कर दिया जाता है । चुनाव खत्म तो तिजोरी बंद अगले चुनाव तक । जब देश में corona से हाल बेहाल हैं तब बीजेपी ये वादा कर रही है की अगर पश्चिम बंगाल में उनकी सरकार बनती है तो सभी को वैक्सीन फ्री मिलेगी . वाह! क्या कहने बीमारी पर भी कोई वोट बटोरने की स्कीम और पीआर इन पार्टियों से सीखे। काम का तो कोई नहीं है पर काम कैसे निकालना है ये सबको पता है । हर पार्टी बस चुनावी प्रचार में जुटी रही देश धीरे धीरे शमशान बन रहा था और चुनावी रैलियों में उसी का रास्ता दिखाया जा रहा था । एक दो दिन पहले तक भी ये कहा जा रहा था जिधर देखो बस लोग ही लोग दिखाई पड़ते हैं और आज देखो जिधर भी दिखाई पड़ता है तो बस corona से अपनों को खोने का दर्द. अगर इनकी जगह कोई और पार्टी होती या है तो वो भी ऐसे ही हथकंडे अपनाती और अपनाए भी क्यों ना जब जनता ही मूर्ख हो । ज़ेहन में गुस्सा भर जाता होगा हर आम व्यक्ति के जब भी ये मूर्ख शब्द अपने लिए सुनता होगा लेकिन जनाब गुस्सा तब नहीं आता जब पूरा देश फिलहाल सांस सांस के लिए तड़प रहा है ? क्या तब सवाल पूछने की हिम्मत नहीं होती जब वो वैक्सीन जो हर किसी का हक होना चाहिए उसी पर राजनीति की रोटियां सेंकने से भी परहेज नहीं किया जा रहा ? पर नहीं ये जनता जानती है क्या हो रहा बस सवाल करने से डरती है की कहीं तिजोरी में ताला ना लग जाए । इसलिए बस सहते रहिए और अच्छे दिन आने वालें हैं ये कहते रहिए।

-मेघना सचदेवा