जो बाइडेन ने सोमवार को कहा कि वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के अपने फैसले पर अडिग खड़े हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि अफगानिस्तान सरकार का पतन उम्मीद से ज्यादा तेजी से हुआ। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लंबे समय तक अमेरिका के युद्ध लड़ने से चीन और रूस को फायदा होता। उन्होंने आगे कहा अमेरिकी सेना को वापस लेने या युद्ध के तीसरे दशक में हजारों और अमेरिकी सैनिकों को वहां भेजने के समझौते के बीच एक विकल्प को चुनना था। बाइडेन ने कहा कि वह अतीत की गलतियों को नहीं दोहराना चाहते थे और इसलिए अफगानिस्तान से निकलने का ही विकल्प चुना। उनहोंने कहा कि उन्हें अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। दुनिया के इतिहास में अफगानिस्तान मिशन को सबसे लंबा अभियान बताते हुए बाइडेन ने कहा कि दो दशक के बाद हम वहां से बाहर निकलना चाहते थे। हम अपने लोगों को सुरक्षित वापस लाना चाहते थे और हमने यही किया है।इससे पहले, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ अफगानिस्तान पर चर्चा की, दोनों तालिबान के साथ काम करने के लिए तेजी से तैयारी कर रहे हैं। रूस ने सोवियत काल में अफगानिस्तान पर एक दशक तक कब्जा रखा था जो उसे काफी महंगा सौदा पड़ा था। चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के तहत अफगानिस्तान के साथ ‘दोस्ताना और सहयोगात्मक संबंध चाहता है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बाइडेन से कहा कि बीजिंग ने खुले और समावेशी राजनीतिक ढांचे’ की मांग तालिबान से की है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार वांग ने कहा, चीन अमेरिका के साथ संवाद करने के लिए तैयार है।
सतीश कुमार (ऑपरेशन हेड, साउथ इंडिया)