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प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को बताया खतरा

नई दिल्ली: भारत गणराज्य की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल बैठक का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, चीनी जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी महासंघ के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन सम्मिलित हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ देशों में आतंकवादियों को पनाह मिलती है। ये क्षेत्र में अमन-चैन को तबाह करने का साधन है। हमें आतंकवाद से लड़ने हेतु समान मानकों का पालन करना होगा।

ईरान इस्लामिक गणराज्य को एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उसका स्वागत किया। उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और देशवासियों को इसकी बधाई देते हुए कहा कि भारत का मूल मंत्र है- वसुधैव कुटुम्बकम्। हम एससीओ के सभी सदस्यों को अपना परिवार समझते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का अभिनंदन किया। पुतिन ने कहा कि हम भारत के अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी रुचि का सम्मान करते हैं। हम एससीओ के सदस्य देशों के साथ अपनी मित्रता और सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

पुतिन ने कहा कि हम पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को खारिज करते हैं। एससीओ के लिए अफगानिस्तान में स्थिति चिंताजनक है। वहां की सुरक्षा और मानवीय स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। एससीओ का उद्देश्य आतंकवाद, कट्टरवाद, उग्रवाद और नशीली दवाओं के सौदे पर प्रतिरोध करना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम एससीओ के सभी सदस्यों को अपना परिवार समझते हैं। एससीओ में पहली बार मिलेट फूड फेस्टिवल, फिल्म फेस्टिवल, क्राफ्ट मेला, थिंक टैंक कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन हुए हैं। एससीओ की पहली पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में एससीओ के देशों का सम्मान किया गया है। एससीओ के युवाओं को प्रतिभा का मंच देने के लिए हमने कई पहल की हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को सरहद पार से सहायता और आश्रय देते हैं। आतंकवाद को अपनी राजनीति का हथियार बना लिया है। आतंकवाद क्षेत्र में स्थिरता को बिगाड़ता है। हमें ऐसे मामलों में कोई समझौता नहीं करना होगा। हमें आतंकवाद के विरुद्ध साथ-साथ लड़ना होगा।

अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत का दृष्टिकोण एससीओ के अन्य सदस्यों के समान है। हमें अफगान लोगों की मानवीय गरिमा, महिलाओं-बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना हमारा साझा लक्ष्य है।

एससीओ भारत के लिए आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर अपनी आवाज को बल प्रदान करता है। इसका एक महत्वपूर्ण लक्ष्य सेंट्रल एशिया में अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देना है। कई विशेषज्ञ एससीओ को अमेरिकी प्रभाव वाले नाटो के विकल्प के तौर पर मानते हैं। वर्ष 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका की पहल से आरंभ हुए नाटो के आज 30 सदस्य हैं।

एससीओ के सदस्य भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर लम्बे वक़्त से असहमति है, जबकि भारत-चीन के मध्य सीमा पर झड़पें हुई हैं। इसके अतिरिक्त एससीओ में सम्मिलित चार सेंट्रल एशियाई के बीच भी मतभेद हैं।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश