रक्तदान करने का मतलब है किसी ऐसी जगह जाना, जो साफ, मॉडर्न फैसिलिटी से लैस, दानकर्ता के लिए सुरक्षित होती है और साथ ही आपका अनुभव भी आरामदायक समझा जा रहा है। हालांकि, ऐसा हमेशा से नहीं था। सदियों पहले जब मॉडर्न इलाज के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं है, उस वक्त से पहले रक्त दान की शुरुआत हुई। जो न सिर्फ डराने वाली थी, बल्कि पूरा प्रोसेस भयानक था। तो आइए आज वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के मौके पर आपको बताते हैं कि रक्तदान कैसे और कब शुरू हुआ, जो आज लाखों लोगों की जान बच चुकी है।
जब किया जाता था जोंक का इस्तेमाल
रक्तपात (bloodletting) चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली पर आधारित था, जिसमें रक्त और अन्य शारीरिक तरल पदार्थ को “शरीरी द्रव” माना जाता था, जिसका उचित संतुलन स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
माना जाता है कि “रक्तपात” गले में खराश से लेकर प्लेग तक सब कुछ ठीक करना एक बेहतरीन तरीका होता है । जिसकी शुरुआत प्राचीन मिस्र में हुई और यह 1800 के दशक तक जारी हो गया था। आपने फिल्मों में रक्तपात के लिए जोंक का इस्तेमाल जरूर देखा होगा, जो असम में भी इस्तेमाल किया जाता था। यूरोप में उस वक्त यह काम नाई किया जा रहा था।