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हाई कोर्ट में केंद्र के जवाब से उठे सवाल आखिर कोन है पीएम कैरेस् फंड का मालिक।

                   हाई कोर्ट द्वारा पीएम कैरेस् फंड   आयुक्त सवाल के दौरान केंद्र ने जवाब दिया की पीएमकेयर्स फंड सरकार का फंड नहीं है और इसमें जमा हुई धनराशि सरकारी खजाने में नहीं जाती है। ऐसे में इस फंड की वैधता और जनता के प्रति जवाबदेही को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं। पीएमकेयर्स फंड की मार्च 2020 में एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापना की गई थी। तब से इसे स्थापित करने के उद्देश्य और इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी को लेकर विवाद चल रहा है।सरकार का ताजा बयान दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले पर सुनवाई के दौरान आया। वकील सम्यक गंगवाल ने इसी अदालत में दो अलग अलग याचिकाएं दायर की हुई हैं। एक में फंड को आरटीआई कानून के तहत पब्लिक अथॉरिटी' घोषित करने की और दूसरी याचिका में स्टेट घोषित करने की अपील की है। सरकार के इस फंड को थर्ड पार्टी कहने से मामला और पेचीदा हो गया है गंगवाल पहले ही अदालत को बता चुके हैं कि फंड की वेबसाइट पर उससे संबंधित जो कागजात मौजूद हैं, उनमें यह बताया गया है कि ट्रस्ट की स्थापना ना तो संविधान के तहत की गई है और ना संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून के तहत। पारदर्शिता का सवाल इसके बावजूद सरकार के सबसे उच्च दर्जे के अधिकारियों का नाम इससे जुड़ा है। वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें आए अंशदान की जानकारी उपलब्ध है, वो भी सिर्फ 27 से लेकर 31 मार्च तक, यानी कुल पांच दिनों की। इन पांच दिनों में फंड को 3076 करोड़ रुपए हासिल हुए। लेकिन वेबसाइट के मुताबिक अभी तक फंड से 3100 करोड़ रुपए कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित अलग अलग कार्यों के लिए आबंटित किए गए हैं।

सतीश कुमार