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ऊंची इमारतें और चकाचौंध देख तालिबानी हुए हैरान

तालिबान लड़ाकों में से एक 22 साल के एजानुल्ला ने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था। काबुल की पक्की सड़कों पर ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट, शीशे के कार्यालय और शॉपिंग मॉल उसे अचंभे में डाल रहे थे। गृह मंत्रालय के भीतर उम्दा फर्नीचर के बारे में उसने कहा कि वह ऐसा था जैसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था। संगठन के लड़ाके मुख्यत ग्रामीण इलाकों से आते हैं। अफगानिस्तान की एक पूरी पीढ़ी आधुनिकता और पश्चिमी विकास के रंग में रंगी हुई है। बहुत से लोगों को डर है कि इतने सालों में जो हासिल किया है।तालिबान सचमुच बदल गया है या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह वो देश नहीं है, जिस पर संगठन ने गृहयुद्ध के चार साल बाद 1996 में कब्जा किया था।ज्यादातर अफगान टूटी-फूटी सड़कों साइकिल या पीली टैक्सी में चला करते थे। पूरे देश में उस समय केवल एक कंप्यूटर था, जो तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के पास हुआ करता था। मजे की बात यह थी कि उसे कंप्यूटर चालू करना तक नहीं आता था।लेकिन आज देश में चार मोबाइल कंपनियां और कई सेटेलाइट टीवी स्टेशन हैं जहां महिला एंकर काम करती हैं जिनमें से एक ने सोमवार को तालिबान के एक अधिकारी का साक्षात्कार लिया था।

सतीश कुमार (ऑपरेशन हेड साउथ इंडिया)