मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के लिए मतदान समाप्त हो चुका है। दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के नेता कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों से फीडबैक लेकर संभावित परिणाम के गुणा भाग में लगना शुरु कर दिया है। तीन दिसंबर को मतगणना में असली नतीजे सामने आएंगे लेकिन दोनों राज्यों में दोनों ही दलों के नेता अपनी जीत का दावा किया जा रहा है।
नेताओं ने दावा कर दिया है कि उनकी चुनाव घोषणाओं के प्रति समर्थन के कारण ही ज्यादा मतदान हुआ और मतदाताओं ने उनके पक्ष में वोट डालना शुरु कर दिया है। चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में 77.12 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 76.31 फीसदी मतदान हुआ है।
चुनाव में ज्यादा मतदान और महिलाओं में खास उत्साह को दोनों दल अपने पक्ष में माना जा रहा है। भाजपा का दावा है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना का जादू चल गया, बहनों ने अधिक से अधिक वोट किया। सरकार की योजनाओं के कारण एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग का प्रो-विकास वोट भाजपा को मिल गया था। सरकार के खिलाफ कोई एंटी-इंकमबेंसी नहीं थी। पार्टी के बूथ मैनेजमेंट के कारण उनके पक्ष के ज्यादा वोट पड़े और मतदान प्रतिशत बढ़ा। उधर, कांग्रेस का तर्क है कि बहनें ही नहीं सरकार से सभी वर्ग नाराज हैं, ज्यादा मतदान से उनकी नाराजगी झलकी है। भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी भी चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा जिससे लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा की लाड़ली बहना योजना का कोई असर नहीं रहा बल्कि कांग्रेस के नारी सम्मान योजना के वचन काे चुनाव में काफी समर्थन मिलना शुरु कर दिया था।