देश में कांग्रेस जिन राज्यों में सबसे ज्यादा मजबूत है उनमें से एक छत्तीसगढ़ है। यहां गाहे-बगाहे पार्टी में खींचतान और टकराव नजर आ जाती थी, मगर बीते कुछ दिनों में किए गए बदलाव ने पार्टी के नेताओं को करीब ला दिया है, अब तो पार्टी में एकजुटता नजर आने लगी है।
छत्तीसगढ़ में बदलाव के साथ उतर सकती है कांग्रेस
राज्य मे विधानसभा चुनाव है जिसमें कुछ राज्य काफी अहम है। और कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं चाहता कि चुनाव से पहले गुटबाजी होना शुरू हो जाए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मोहन मरकाम से लेकर दीपक बैज को सौंपी गई, तो टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
देश में कांग्रेस जिन राज्यों में सबसे ज्यादा मजबूत है उनमें से एक छत्तीसगढ़ मानी जा रही है। यहां गाहे-बगाहे पार्टी में खींचतान और टकराव नजर आ जाती थी, मगर बीते कुछ दिनों में किए गए बदलाव ने पार्टी के नेताओं को करीब ला दिया है, अब तो पार्टी में एकजुटता नजर आना शुरू हो गई है।
किसी तरह की नाराजगी न पनपे इसलिए मोहन मरकाम को भी कैबिनेट में जगह मिली है। एक मंत्री प्रेमसाय टेकाम को मंत्री पद से हटाया गया तो उन्होंने जरूर अपनी नाराजगी जताई। राज्य की कांग्रेस की स्थिति पर गौर करें तो संतुलन की राजनीति पर पार्टी हाईकमान से लेकर प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काम कर रहे हैं।
एकजुटता पर फोकस
पार्टी के भीतर किसी भी तरह की नाराजगी को पनपने से पहले रोका गया है। राज्य में वर्ष 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली थी और भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद तरह-तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा और कहा तो यहां तक जाने लगा था कि पार्टी के भीतर ढाई-ढाई साल का फार्मूला बना है। मगर वक्त गुजारने के साथ यह बात किसी भी नेता ने खुलकर नहीं स्वीकारा गया।