अमेरिका (United States Of America) में स्थायी रूप से निवास करने वाले लोगों के पास ग्रीन कार्ड मौजूद होता है। ग्रीन कार्ड अमेरिका में जन्मे लोगों को तो जन्माधिकार के तौर पर मिल ही जाता है, साथ ही उन लोगों को भी मिलता है जिन्हें अमेरिका की नागरिकता कई सालों तक देश में रहने के बाद मिलना शुरु हो जाता है। हालांकि ग्रीन कार्ड मिलने से पहले अमेरिका में दूसरे देशों के लोगों को वीज़ा पर रहना पड़ता है। अमेरिका में नौकरी और पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में भारतीय भी रहते हैं। पर हाल ही में अमेरिका में ग्रीन कार्ड के बैकलॉग ने 1 लाख से ज़्यादा भारतीयों की चिंता बढ़ना शुरु हो गई है।
दरअसल अमेरिका में करीब 11 लाख भारतीय ऐसे हैं जो ग्रीन कार्ड पाने की लिस्ट में हैं। दूसरे देशों के भी कई लोग इस लिस्ट में शामिल हैं। भारत के कई मामले होने से यह प्रोसेस और लंबी हो जाती है। वहीं हर देश के लिए 7% ग्रीन कार्ड देने की लिमिट है। ऐसे में वर्तमान में जो ग्रीन कार्ड बकाया है, उनकी प्रोसेस पूरी होने में 100 साल से ज़्यादा समय लगने की आशंका जताई जा रही है। सब कुछ हटा भी दे तो भी इस प्रोसेस को पूरा होने में करीब 50 साल लग सकते हैं। ऐसे में H-1B वर्क वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे लोगों के परिवार के सदस्यों को H-4 वीज़ा दिया जा रहा है। हालांकि बच्चों को इस तरह का वीज़ा दिए जाने पर उनके 21 साल का होने के बाद इस वीज़ा के तहत अमेरिका में रहने की परमिशन नहीं मिलती। ऐसे में इस वीज़ा को रखने वाले 1 लाख से ज़्यादा भारतीय बच्चों पर अपने माता-पिता से अलग होने का खतरा बढ़ने की संभावना हो चुकी है।