भारत में आयोजित जी-20 बैठक से वर्ल्ड ऑर्डर में बदलाव देखा गया, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इंसियो लूला डी सिल्वा ने अगले जी20 सम्मेलन के दौरान चर्चा की। लूला ने ग्लोबल वर्ल्ड ऑर्डर में जिन दो बदलावों को लागू करने की जानकारी si वे हैं बहुपक्षीय संस्थानों जैसे यूएन, विश्व बैंक में सुधार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नए सदस्य देशों को जगह। गौरतलब है कि भारत भी इस मांग को प्रमुखता से उठाता आया है। साथ ही लूला ने कहा कि जी20 की अगली बैठक में एनर्जी ट्रांजिशन (रिन्यूबेल एनर्जी पर निर्भरता बढ़ाना) और असमानता पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी।
भारत के आयोजन से मुग्ध हैं लूला
गौरतलब है कि भारत में जी20 के भव्य आयोजन से मुग्ध ब्राजील के राष्ट्रपति ने एक्स प्लेटफार्म पर लिखा है कि उनके देश के सामने भारत की तरह के विशाल आयोजन की बड़ी चुनौती मानी जा रहा है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि ब्राजील निश्चित रूप से भारत की तरह शानदार आयोजन करने में सक्षम है और इस पर बहस होना चाहिए कि कैसे इस आयोजन में पूरा समाज भागीदार बन सके।
ट्रांजिशन का मुद्दा
ब्राजील के राष्ट्रपति ने जिस एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर शुरुआत भारत से है। नई दिल्ली में आयोजित जी20 सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस के गठन हुई है। इसके अंतर्गत वैश्विक स्तर पर पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने की अपील की गई और साथ जी20 देशों से इस पहल में शामिल होने का आग्रह हुआ था। भारत, ब्राजील और अमरीका इस अलायंस के संस्थापक सदस्य हैं। जी20 के मंच से इस अलायंस की घोषणा के बाद इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 19 से अधिक हो गई है। जिसमें 7 देश जी20 के भी सदस्य हैं। इसके अलावा 12 बहुपक्षीय संस्थान भी इसके सदस्य बन चुके हैं। लेकिन चीन इसका सदस्य नहीं बना है। गौरतलब है कि गठबंधन के तीन संस्थापक सदस्य अमरीका, भारत और ब्राजील इथेनॉल के वैश्विक उत्पादन में लगभग 85 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा है कि अगले जी20 सम्मेलन में सभी प्रकार की असमानता को लेकर विचार किया जाना है। लूला ने कहा, हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां कुछ हाथों में अत्यधिक धन केंद्रित है, जबकि लाखों मनुष्य को खाना नहीं मिलता। जहां टिकाऊ विकास पर खतरा मंडरा रहा है। हम इन सभी समस्याओं का सामना तभी कर पाएंगे जब हम असमानता के मुद्दे पर ध्यान देंगे – आय की असमानता। और नस्ल आधारित असमानता रहती है। स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, भोजन तक सभी की पहुंच का संकट। इन सभी विसंगतियों के मूल में है प्रतिनिधित्व की असमानता समझी जाती है।