किसी भी लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा गया है जो कि लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करता है एवं सच को निर्भीकता से जनता के सामने लाने की कोशिस करता है। लेकिन आज के समय मे स्थिति बहुत गम्भीर है ज्यादातर मीडिया हाउस या पत्रकार पक्षपाती खबरे प्रसारित कर रहे है या एक तरह से एजेंडा खबरे चला रहे है जो उन मीडिया संस्थानों और विशेष वर्ग के लिए तो हितकारी हो सकता है लेकिन ऐसा करना न तो लोकतंत्र के लिहाज से अच्छा है और न देश की जनता के लिए । बार बार एक ही तरह की स्क्रिप्ट जनता को दिखा कर उनका दिमाग बदलने की या उन्हें सिर्फ वही सब सोचने ट्रेनिंग देना एक तरह से लोगो का माइंड वाश करने जैसा है। ऐसा करने से लोग उसे ही सच समझने लगते है जो बार बार एक एजेंडे के तहत दिखाया जा रहा है या वह श्रोता या पाठक यह समझने लगते है कि यह हमारे हित मे है जबकि ऐसा करना जनता को मानसिक रूप से हैक करने जैसा है और यह एक गम्भीर मानवीय अपराध भी है लेकिन अपने स्वार्थों की पूर्ति में लिप्त कुछ प्रतिष्ठित संस्थान जानते बुझते हुए ऐसा करने में लगे हुए है और कुछ विशेष लोगो द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम न्यूज़ या समाचार के रूप में जनता के सामने परोस रहे है जिसके परिणाम बहुत ही ज्यादा भयंकर होते है। ऐसे बहुत से उदाहरण अगर हम इतिहास देखे तो मिल जाएंगे जिसमे एक नैरेटिव सेट करके जनता के या एक खास जाति धर्म या क्षेत्र के लोगो को गलत दिशा देकर अपने राजनीतिक एवं आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति की गई जिसका दुष्परिणाम भी देश ने देखा।
आज जो कार्य निष्पक्षता से मीडिया संस्थानों को करने चाहिए दुर्भाग्य से वह नही हो पा रहे है। इसीलिए आजकल कुछ विशेष शब्द मीडिया के लिए जन जन में प्रचलित है यथा गोदी मीडिया, प्रेस्टीट्यूट आदि। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ निहायत स्वार्थी संस्थान या व्यक्ति लगातार अपने कुविचार जनता पर थोपने में लगे हुए है और जनता को उन्हें देखना मजबूरी है क्योंकि मुख्य स्रोत ही यही है और इसी का लाभ लगातार उन्हें मिल रहा है क्योंकि ओर कोई बड़ा ऑप्शन जनता के पास नही होता। कुछ हद तक ऐसे संस्थानों पर सोशल मीडिया ने रोक लगाई है और सच जन जन तक लाने का काम किया है और कुछ ऐसे पत्रकार भी जमीनी स्तर पर सच लोगो तक लाने का प्रयास कर रहे है लेकिन यह सब अभी नाकाफी है। हमारे देश में ऐसे सच्चाई परक पत्रकारों को संगठित करने की निहायत आवश्यकता है जो अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी छुपे हुए सच को जन जन तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे है लेकिन वह अभी सीमित लोगो तक पहुँच पा रहे है। संगठित न होने की वजह से उन पर मुकदमे भी लगते है जेल भी होती है और सबसे बड़ी बात कि ऐसा करना एक सच के हौसले को तोड़ने का दुस्साहस करना भी है जो किसी भी लोकतंत्र के हिसाब से बिल्कुल सही नही है।
ऐसे में Reporters 24×7 द्वारा यह एक प्रयास किया जा रहा है कि निडर, निर्भीक, सच्चाई परक पत्रकार भाइयों को एक संगठित प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया जाए जिससे लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा हो सके और जनता से सामने जो झूट बार बार या एजेंडा न्यूज़ परोस कर अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु प्रायोजित कार्यक्रम चलाए जा रहे है उनसे सचेत किया जा सके। हमें उम्मीद है हमारे इस प्रयास को जन जन का सहयोग मिलेगा और ऐसे पत्रकार भाई जो अपनी आवाज़ किसी भी मजबूरी से उठा नही पा रहे है उन्हें एक नई ऊर्जा मिलेगी।
आप सभी पत्रकार भाइयों से भी यह अपील है कि चाहे आप किसी भी मीडिया संस्थान (प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक) से जुड़े हो Reporter 24×7 से अवश्य जुड़ें और लोकतंत्र के हितों की रक्षा के लिए कार्य करें सहयोग करें।
संजय नाथ भाटिया
चीफ एडिटर
Reporters 24×7
हमारे साथ जुड़कर कार्य करने वाले पत्रकार भाइयों और नए प्रशिक्षु पत्रकारों के लिए दो शब्द:
प्रिय साथियों, काफी पत्रकार भाइयों की यह मांग रहती है कि हमे सैलरी दी जाए तभी हम कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे। या ट्रेनी पत्रकार कहते है कि न्यूज़ के एवज में हमे कम्पनी से कुछ स्टाइपेंड मिलना चाहिए जिससे हमें खर्च चलाने में आसानी हो और हम फील्ड के कार्य कर सकें।
साथीगणों, आप सभी कम्पनी रूपी डोर में जुड़े हुए मोती हो जिसे कोई भी कम्पनी सहेज कर रखना चाहेगी और यह आशा करेगी कि मेहनती और कार्यकुशल एम्प्लोयी हमेशा कम्पनी से जुड़ें रहें। लेकिन आज का दौर बहुत ही विषमता से भरा हुआ है और ऐसे में बहुत सी कम्पनियां अपनी टीम में कटौती कर रही है क्योंकि न तो अधिक सेल है और न ही ज्यादा दूसरे आउटपुट्स। ऐसे में किसी कम्पनी का चल पाना ही अपने आप मे एक बड़ा प्रश्न है लेकिन फिर भी आपकी कम्पनी हमेशा ही आप सभी का हित हो ऐसे कार्य करेगी।
कम्पनी ने आप सभी के लिए कुछ अच्छा सोच रखा है जो आप सभी को उम्मीद है पसन्द आएगा।
कम्पनी को देश भर में गुणवत्तापूर्ण न्यूज़, स्टोरी और आर्टिकल्स के लिए 3000 रिपोर्टर्स चाहिए यानी कि हर तहसील पर एक रिपोर्टर। ऐसे में सभी पत्रकार भाइयो को और ट्रेनी पत्रकारों को बिना आउटपुट के सैलरी या स्टाइपेंड देना किसी भी संस्थान के लिए मुश्किल ही नही असम्भव है। मीडिया संस्थान विज्ञापनों से होने वाली आय पर चलते है। लेकिन अधिकतर पत्रकार एड लाना पसन्द नही करते और बिना एड के इनकम नही होती।
एक छोटी सी गणित आप सभी के सामने प्रस्तुत है।
पहले यह गणित एक पत्रकार की सैलरी के हिसाब से देखे:
3000 पत्रकार x 20000 न्यूनतम वेतन
कुल मासिक खर्च 6,00,00,000 यानी 6 करोड़ महीना
अगर इसे पत्रकारों की सैलरी की जगह हर न्यूज़ के हिसाब से देखे:
3000 पत्रकार x 300 एक न्यूज
कुल दैनिक खर्च 9,00,000 यानी 9 लाख रुपये रोज
ओर 30 दिन x 900000=2,70,00,00 रुपये
अब इसे ट्रेनी पत्रकार के हिसाब से देखे
3000 ट्रेनी पत्रकार x 100 रुपया एक न्यूज का दिया और रोज एक रिपोर्टर की 1 न्यूज़
3000×100=3,00,000 रोज
30 दिन के 90 लाख रुपये
इसके बदले में कम्पनी ने विज्ञापन पर बढ़िया कमीशन दे कर आप लोगो की अधिक इनकम हो और कम्पनी पर भी किसी तरह का भार न पड़े ऐसा विचार करके आपकी इनकम भी बढ़ाने की सोची है।
अगर ट्रेनी पत्रकार लोग महीने का एक एड भी अपने एरिया से ले लेते है तो आपको 50% मिल रहा यानी 25000 का एड एक महीने का जिसमे 18% gst निकाल दो तो 10250 रुपये महीने की इनकम एक ट्रेनी पत्रकार की हो रही है जो किसी स्टाइपेंड से कहि अधिक है। ओर यह एड की रेट एक महीने की है यानी कोई भी बिजनेस एड दे सकता है लोकल न्यूज़ को स्पॉन्सर करने के लिए यह उस रिपोर्टर की काबिलियत ओर लोगो से सम्बन्ध पर निर्भर करती है। इसका दूसरा फायदा यह भी हो रहा कि सिर्फ न्यूज़ लिखने के अलावा भी आपकी दूसरी स्किल्स जैसे सेल्स, मार्केटिंग, व्यवसाइयों से सम्बन्ध आदि डेवेलोप हो रही है। तो सीखने के लिहाज से यह एक उत्तम कदम है।
ओर अगर इसे एक वरिष्ठ पत्रकार के नज़रिए से देखे तो जिस प्रकार वह अनुभव के नाम पर अधिक सैलरी की डिमांड करता है तो उसी अनुपात में वह एक ट्रेनी पत्रकार से कहि अधिक सीनियर भी है तो इस हिसाब से उसके मार्केट में लिंक भी अधिक होंगे और अन्य योग्यताएं भी तो वह महीने के तीन एड न्यूनतम उठा सकता है यानी मिनिमम 30000 कमीशन जो एक सैलरी से अधिक है।
कम्पनी दोनो तरफ का भला सोच कर चल रही कि आपकी इनकम भी हमारे साथ अधिक हो और आज की दशा को देखते हुए जिसमे दूसरी कम्पनी अपने स्टाफ को निकाल रही है वही हम आप सभी की अधिक इनकम की बात कर रहे है।
इसलिए आप सभी छिपे हुए लॉजिक को समझते हुए कार्य करें जिससे आपकी इनकम बढ़ने के साथ साथ कम्पनी की भी आय बढ़े और अन्य कम्पनियों की तरह हमें अपने स्टाफ में कटौती का निर्णय न लेना पड़े।
काफी लोगो के यह प्रश्न होते कि हमसे एड नही लिए जा सकते, हम सिर्फ कोशिस कर सकते है। मेरी नज़र में उनका जवाब इस प्रकार है:
श्रीमान जी, कोशिश ही तो करनी है। कोशिस से सब कुछ सम्भव। कोशिस से आज क्या नही हुआ। सभी ने कोशिस के नाम पर ही बड़े एम्पायर जो दिख रहे वह शुरू किये और मेहनत की तो सफल व्यक्तियों में आज नाम है उनका। जरूरत तो शुरुआती कदम रखने की होती। हम एक डर के माहौल में जीते है। कछुवे के खोल की तरह रहते। जीतना है तो बाहर निकलना पड़ेगा न। काफी लोग तो इसी डर से शुरुआत ही नही करते।
करना क्या है स्पेशल एड लेने के लिए, मेरे हिसाब से तो कुछ नही, न्यूज के लिए हम सभी फील्ड में जाते ही है, रास्ते मे बिजनेस भी रहते, खुला मार्केट है, बस कुछ बिजनेसमैन से जाकर hi hello करनी, परिचय बढ़ाना कुछ दिन, फिर कभी बड़ी न्यूज़ हो एरिया की तो फोन कर दिया कि लालाजी बड़ी न्यूज़ है असर करेगी, लोग देखेंगे इसमे आपका एड परफैक्ट रहेगा। 10 लोगो को स्पॉन्सर के लिए कहेंगे एक भी तैयार हुआ हमारा काम हो गया। ये मार्केटिंग के तरीके है जो 100% कार्य करते है। क्योंकि मार्केटिंग का यह नियम है कि 10 लोगो को बोलो एक तैयार होगा। दूसरा, अगर रिपोर्टर व्यवहारिक है तो साल में एक एड के लिए तो कोई भी बिजनेसमैन उसे मना नही करता।
ऊपर यह सब जो लिखा है वह कोई कोरी कल्पना या सिर्फ ज्ञान मात्र नही है। आप सभी को वह सब बताया है जो मैंने स्वयं ने फील्ड में जाकर फेस किया है और लोगो से अपने सम्पर्क मजबूत किये है। हम सभी एक समाज मे रहते है यहां व्यक्ति का स्वयं का व्यवहार चलता है, दूसरे से कह कर हम एक बार कार्य करवा सकते है लेकिन हमें जीतने के लिए चाहे वह पत्रकारिता हो या अन्य क्षेत्र, स्वयं के सम्बंध ओर सम्पर्क बनाने होंगे तभी ही हम किसी भी क्षेत्र में कामयाब हो सकते है। उम्मीद है कि ऊपर लिखा हुआ आप सभी को समझ आएगा और आप इसे अपने जीवन मे लागू कर कामयाबी की ओर कदम बढ़ाएंगे। मेरा मार्गदर्शन सदैव आप लोगो के साथ रहेगा।
–राव रजत सिंह