कहते हैं तस्वीर बोलती है … और वो वैसा बोलती हैं जैसा उन्हें देखने वाले का नज़रिया हो ।
दुनिया के कई देशों में इन दो सालों में corona कितनी जानें निगल गया है शायद ही उसका सटीक आंकड़ा अब तक सामने आ पाया हो । बस इतना पता है ये 1 या 2 नहीं है बल्कि लाखों करोड़ों में है । हालांकि इन 2 सालों में अनगिनत तस्वीरें सामने आई हैं जो बहुत कुछ बोलतीं हैं । सबसे पहले इन तस्वीरों में चाइना के हालात नजर आए …वायरस अदृश्य था पर प्रभाव मास्क लगाए लोग और घरों में बंद जनता की तस्वीरों से साफ नजर आ रहा था । तब देखने वाले ने अपना नज़रिया बयां किया और कहा कि चीनी वायरस है ये ! फिर धीरे धीरे ये वायरस आग कि तरह फैलता गया और पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया । कुछ देशों में हालात बद से बदतर होते गए । इटली की तो तस्वीरें चीख चीख कर कह रही थी पूरी दुनिया को ये खतरा बड़ा है। खैर सात समुंदर पार बैठे लोगों का नज़रिया कहता रहा कि शायद ये कोई छल है ऐसे भी कोई सड़कों पर महामारी से मारता है भला ? फिर वायरस ने भारत का रुख किया और मास्क और पाबंदियों कि तस्वीरें हर तरफ छा गई । प्रवासी मजदूरों के छालों की तस्वीर को देख कर कुछ लोगों का नज़रिया ये कहने से भी परहेज करता नजर नहीं आया की ये मज़दूर अब वायरस का संक्रमण बढ़ाएंगे । Lockdown खत्म हुआ तो शादी पार्टी और चुनावी रैली की तस्वीरों को देख नज़रिया बोल उठा की भारत से सीखो भारत ने जीत ली है जंग । जश्न हो ही रहा था की अदृश्य होकर भी अपनी मौजूदगी हर तस्वीर में दर्ज करा रहा corona और घातक हो गया । अब तस्वीर लाशों की है , तस्वीर corona और लाचार सिस्टम से हार चुकी मां की ममता की है , तस्वीर हर एक सांस के लिए तड़पते मरीजों की है , तस्वीर अपनों को मरते देख भी उनसे दूरी बनाने की मजबूरी की है ….लेकिन जनाब यहां भी नज़रिया तस्वीर की आवाज़ को बंद करने में लगा हुआ है । और बोल पड़ा ये उन चंद लोगों का नज़रिया… जो सच का सामना करना नहीं चाहते , जो सवाल करने से डरते हैं और जो नाकाम सिस्टम का ही हिस्सा हैं । इस बार ये नज़रिया कहता है कि कमी कहीं नहीं है, किसी चीज की नहीं है …कमी है लोगों के नजरिए में !
वो कहते हैं ना कि तस्वीरें बोलती है लेकिन शायद इन लोगों का नज़रिया तस्वीरों की चीखें तभी सुन पाएगा जब इन तस्वीरों में कोई अपना होगा !
मेघना सचदेवा