देश मे सोशल मिडिया द्वारा लोगो को जाल साज मे अलग-अलग तरीके से लोगों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं तो कुछ ऐसे भी गैंग हैं जो इन बदमाशों को धोखाधड़ी के लिए जाली दस्तावेजों पर सक्रिय सिम कार्ड बेच रहे हैं। सबकुछ खुलेआम फेसबुक पर बने कई ग्रुप के जरिए हो रहा है, जिसका खुलासा दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने कुछ मामलों की जांच के दौरान किया है।नेटवर्क में शामिल आरोपियों द्वारा पूरी प्रक्रिया में जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल के कारण साइबर सेल अभी तक एक भी बदमाश तक नहीं पहुंच पाई है। साइबर सेल द्वारा ठगी के कई मामलों की जांच के दौरान पता चला है कि धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल सिम कार्ड अब फेसबुक ग्रुप के जरिए खरीदे जा रहे हैं। उत्तर पश्चिम जिला साइबर सेल ने 16 जून को जिस फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा कर दो भाइयों को गिरफ्तार किया था, वे नौकरी का झांसा देकर लोगों से ठगी करते थे। आरोपी फर्जी कागजात पर जारी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे जो उन्होंने एक फेसबुक ग्रुप के जरिए खरीदे थे। हालांकि इसकी वैधता 30 से 90 सेकेंड तक के लिए ही होती है। ठगी में लिप्त गिरोह कई हजार ओटीपी एक बार में खरीदते हैं।इसके बाद सत्यापन की प्रक्रिया के तहत स्वत: ही आधार से पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी चला जाता है। बैंक खातों के लिए जाली आधार कार्ड देनेे वाला गैंग यह ओटीपी भी उपलब्ध कराता है। हर बार ओटीपी के लिए आरोपी पांच सौ रुपये तक लेते हैं।
सतीश कुमार (ऑपेरशन हेड, साउथ इंडिया)