कोरोना तमाम देशों को शिकार बना रहा है। दूसरी लहर में इंडोनेशिया भी भारत जैसी स्थिति में है। अस्पतालों में दवाओं, वेंटिलेटरों और बिस्तरों की किल्लत है और वैक्सीन की समस्या भी खत्म नहीं हो रही। कोविड के मार झेल रहे दूसरे कई देशों की तरह इंडोनेशिया भी महामारी की रोकथाम में सबसे अहम – टेस्टिंग के मामले में पिछड़ रहा है और जब से कोविड के सबसे खतरनाक डेल्टा वेरिएंट का प्रसार बढ़ा है संक्रमण और कुल मौतों की गिनती में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इंडोनेशिया के लिए सबसे बड़ी समस्या फिलहाल यही है कि देश के पास न अपनी वैक्सीन है और न वैक्सीन की आपूर्ति का कोई किफायती, भरोसेमंद और असरदार स्रोत। फिलहाल इंडोनेशिया की वैक्सीन आपूर्ति चीन से हो रही है जिसकी गुणवत्ता और असरकारक क्षमता दोनों पर ही सवालिया निशान लगते रहे हैं। अब तक इंडोनेशिया की कुल वयस्क जनसंख्या के केवल 5 प्रतिशत को ही पूरी तरह वैक्स उसकी मुश्किल यह भी है । डेल्टा के प्रसार के कोविड-19 से जुडी बच्चों की मौतों में भी इंडोनेशिया में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। बच्चों में कोविड संक्रमण के मामले में इंडोनेशिया दुनिया के सबसे प्रभावित देशों में है। समस्या की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में हर आठवां कोविड पीड़ित 18 से कम उम्र का है। 18 से कम आयु वर्ग के 600 से ज्यादा लोग अब तक अपनी जान गवां चुके हैं।अभी तक 18 से कम आयु वर्ग में कोविड महामारी फैलने की वजहें साफ तौर पर सामने नहीं आ सकी है। जावा और बाली में स्थिति खराब जावा और बाली द्वीपों में स्थिति ज्यादा भयावह है। इंडोनेशिया के हालातों से यह साफ है कि बिना अंतरराष्ट्रीय समुदाय और बड़ी ताकतों की मदद के बिना उसके हालात और खराब ही होंगे। इन दोनों ही क्षेत्रों में लोगों के बाहर निकलने और आने जाने पर और कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं लेकिन कोविड केसों में कमी आने में समय लगेगा। जकार्ता और जावा के तमाम शहरों में अस्पताल 90 प्रतिशत तक भरे हुए हैं और स्वास्थ्य कर्मियों और सरकार की चिंताएं बढ़ रही हैं कि यह संख्या कहीं और न बढ़ जाय। देश में अब तक लगभग 23.5 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 62 हजार लोग मारे जा चुके हैं। माना जा रहा है कि इस हफ्ते दैनिक संक्रमण का आंकड़ा 50 हजार को पार कर जाएगा।अपनी क्षमतानुसार इंडोनेशिया ने इस महामारी से निपटने की कोशिश भी की है. कोविड के चलते रोजगार खो चुके और गरीबी की मार झेल रहे लोगों की मदद करने के लिए सरकार ने आर्थिक मदद के कई कदम उठाए हैं।
सतीश कुमार (ऑपेरशन हेड, साउथ इंडिया)