बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी में पिछले कुछ दिनों से लगातार हलचल हो रही है। लोजपा में वर्चस्व की लड़ाई लगातार जारी है। लोजपा में पशुपति पारस और चिराग पासवान के गुट आमने सामने डटे हुए हैं। लोजपा में हो रही तमाम जद्दोजहत के बीच रविवार को चिराग पासवान के चाचा सांसद पशुपति पारस को लोजपा का नया अध्यक्ष चुन लिया है।
आज पटना में पशुपति पारस के नेतृत्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक में इसका निर्णय लिया गया। पटना में हुए इस बैठक में पशुपति पारस के अलावा चार और बागी सांसद महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज मौजूद रहे।
पटना में हुई यह बैठक लोजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सूरजभान सिंह के आवास पर हुई। सूरजभान को ही लोजपा के नए अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इस बैठक के लिए बुधवार को ही पशुपति पारस पटना पहुंच गए थे, गुरुवार को उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भी कर दिया था। पशुपति पारस के नामांकन के बाद जब किसी और नेता ने उनका विरोध नही किया तो उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी गई। लोक जनशक्ति पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच चल रही है। दोनों पार्टी के ऊपर अपनी दावेदारी ठोक दी है। ऐसे में लोजपा में हो रही वर्चस्व की यह लड़ाई बहुत जल्द चुनाव आयोग या कोर्ट में पहुंच सकता है।
लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा भतीजे के बीच चल रही पारिवारिक गतिरोध पर चाचा पशुपति पारस ने साफ कर दिया है कि वह जिस रास्ते पर आगे बढ़ चुके है उससे वापस आना बहुत मुश्किल है। लोजपा के नए अध्यक्ष ने कहा की अब में संसदीय दल का नेता हूं ऐसे में वापस अपने कदम खींचना मुमकिन नहीं है।
बहरहाल, चिराग पासवान ने कल प्रेस कॉन्फ्रेस कर कहा था कि लोजपा का संसदीय दल का नेता कौन होगा यह तय करने का अधिकार सिर्फ लोजपा अध्यक्ष को होता है। ऐसे में बागी नेताओं द्वारा लिए गए सभी फैसले गलत है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया की पहले वह इस घरेलु लड़ाई को घर में ही सुलझाना चाहते थे पर अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। अब वह कानूनी जंग के लिए भी तैयार हैं।
सौरव कुमार