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लो जी भाई साहब लालू जी भी बाहर आ गए

भारतीय राजनीति के मजबूत स्तंभ पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री (बिहार), यादव लालू प्रसाद जेल से समझ लो बाहर आ चुके हैं। (वैसे वे पहले भी कौन सा भीतर थे, बाकी ज्यादातर नेताओं की तरह नाम के जेल में थे बाकी इलाज एम्स के वीवीआईपी सेक्शन में करवा रहे थे) उन्हें आज झारखंड की हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ ज़मानत दे दी है।

क्या-क्या शर्तें रखी हैं कोर्ट ने –
१. कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव से कहा है कि उन्हें एक लाख रूपये का निजी मुचलका जमा कराना होगा।
२. इसके साथ ही 10 लाख रूपये का जुर्माना भी उन्हें देना होगा।
३. लालू प्रसाद यादव को अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा। उनकी विदेश यात्रा फिलहाल प्रतिबंधित रहेगी।
४. हाँ यदि उन्हें किसी विशेष कार्य हेतु विदेश जाना आवश्यक लगता है तो वे कोर्ट से इज़ाज़त लेने के लिए प्रयास कर सकते है।
५. लालू प्रसाद यादव अपना मोबाइल नंबर और पता भी नहीं बदल सकते हैं।

सीबीआई की एक बार फिर से पिट गयी भद्द –
हमेशा की तरह इस बार भी सीबीआई ने मामले में ज़मानत दिए जाने के विरोध किया लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की वकालत के सामने एक बार फिर से सीबीआई की भद्द पिट गयी, सीबीआई द्वारा पेश किये गए सभी तर्क पूर्णतः ख़ारिज कर दिए गए और झारखण्ड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को शर्तों के साथ ज़मानत दे दी है।

कैसे मिली ज़मानत और सीबीआई के वे तर्क जिनकी लग गयी वाट –
सीबीआई ने कोर्ट में अपना विरोध जताते हुए कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को दुमका कोषागार मामले आईपीसी में 7 साल और पीसी एक में 7 साल की सजा सुनाई है। मतलब यह की लालू प्रसाद को कुल 14 वर्ष की सजा दी गयी है।

लालू प्रसाद यादव को ज़मानत मिली है उनकी आधी सजा पूरी होने की ख़ुशी में (भारत का न्यायतंत्र मुझे माफ़ करे). दरअसल देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में आधी सजा काट चुके अपराधियों को ज़मानत दी थी, उसी को आधार मानकर झारखण्ड कोर्ट ने लालू को ज़मानत दी है लेकिन पेंच फंस यह रहा है कि जब सजा कुल हुई 14 बरष की तो आधी तो 7 साल की पूरी होने पर होनी चाहिए।

सीबीआई ने अदालत में यही तर्क दिया लेकिन कपिल सिब्बल ने सीबीआई के तर्कों को उसकी ही नाकामी और ढीले -ढाले रवैये के चलते दे दी मात, कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया, “जज साहब लालू के साथ इस मामले में कई और लोगों को बिलकुल यही सजा हुई थी, उन लोगों को तो जमानत मिल चुकी है। 7 साल की सजा को आधार मानकर। तब तो सीबीआई विरोध करने नहीं आयी तो आज क्यों यहाँ खड़े हैं, लालू जी से इनकी कोई पर्सनल खुन्नस तो होनी नहीं चाहिए।

जज साहब ने कहा बिलकुल, जब पहले आप लोग खामोश थे तो आज भी रहो खामोश, जाओ मुफ्त की सरकारी चाय पीओ और एजेंसी की भद्द पिटवाओ, तुम्हारे बस का कुछ नहीं।

आर्टिकल कैसा लगा जरूर बताना, गाली न देना बाकी जो मन में आये कमेंट कर सकते हो।

…. धर्मेंद्र सिंह