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चीन अब चलने लगा है नई चाल, अरुणाचल के युवाओं को अपनी सेना में भर्ती करने की कोशिश

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है और राज्य को भारत के हिस्से के तौर पर उसने कभी मान्यता नहीं दी है। बीते साल गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से ही चीन ने पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर अपनी गतिविधियां असामान्य रूप से बढ़ा दी हैं। बांध से लेकर हाइवे और रेलवे लाइन का निर्माण हो या फिर भारतीय सीमा के भीतर से पांच युवकों के अपहरण का मामला चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए के भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अब तक मिली सूचना के मुताबिक, पीएलए तिब्बत के अलावा अरुणाचल प्रदेश के युवकों को भी भर्ती करने का प्रयास कर रही है। यह बेहद गंभीर मामला है। ईरिंग ने केंद्रीय गृह और रक्षा मंत्रालय से इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जरूरी कदम उठाने की अपील की है। कांग्रेस नेता कहते हैं तिब्बत की सीमा से सटे इलाकों में रहने वाली निशी आदि, मिशिमी और ईदू जनजातियों और चीन की लोबा जनजाति के बीच काफी समानताएं हैं।कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय को पत्र लिखने की भी बात कही है। लेकिन इलाके में तैनात सुरक्षा एजेंसियों या केंद्र सरकार ने अब तक ईरिंग के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बीते एक साल के दौरान चीनी सैनिकों के सीमा पार करने की कई घटनाओं की सूचना मिली है। वह इलाका इतना दुर्गम है कि हर जगह सेना की तैनाती संभव नहीं है और सूचनाएं भी देरी से राजधानी तक पहुंचती हैं।

सतीश कुमार (ऑपरेशन हेड, साउथ इंडिया)