केरल में गुरुवार को जीका वायरस के 13 केस पाए गए। तिरुवनंतपुरम से लिए गए सैंपल्स को जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा गया था, जहां जांच में इनकी पुष्टि हुई है।जीका वायरस एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है जोकि दिन के समय सक्रिय होते हैं। यह पहली बार 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था। इसके बाद 1952 में युगांडा और तंजानिया में मानवों में पाया गया था।अधिकतर लोगों में कोई वास्तविक लक्षण नहीं दिखता है। कुछ लोगों में बुखार, चकत्ते, सिरदर्द, मांशपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायतें आती हैं। जीका वायरस गुलियन बैरी सिड्रोम पैदा करने के लिए भी जाना जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने पहली बार नवंबर 2018 में जीका वायरस को अलग करने में सफलता पाई थी। भारत में पहली बार जनवरी 2017 में जीका वायरस का केस मिला था। इसके बाद जुलाई 2017 में तमिलनाडु में भी इसके केस मिले थे।
सतीश कुमार (ऑपेरशन हेड, साउथ इंडिया)