देश की राजधानी दिल्ली से पूरा देश चलता है , केंद्रीय नेतृत्व भी यहीं से देश में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखता है और देश को लेकर मंथन भी यहीं होता है। फिल्हाल corona के चलते दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित है , देश में कई गतिविधियों पर रोक भी लग गई , मंथन करने का तरीका भी वर्चुअल हो गया । लेकिन दिल्ली में एक चीज है जिस पर इस वायरस का और lockdown का कोई असर नही पड़ा और वो है हमारे प्रधानमंत्री जी के घर का निर्माण । इस बार जब दिल्ली में lockdown का एलान हुआ था तो आपको याद होगा केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों से कहा था कि आप दिल्ली छोड़ कर ना जाएं । अब लगता है उस एलान में कहीं न कहीं मंजदूरों के लिए संदेश था कि और कुछ नहीं तो सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट तो चलेगा ही तो रुक ही जाओ ! खैर प्रवासी मजदूर तो नहीं रुके और शायद इस बार जख्म इतने गहरे हैं की लौट कर शहर कभी न आएं। लेकिन जो मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं क्या उनको corona का खतरा नहीं ? चलो वो भी छोड़ो क्योंकि हमारे देश में corona कुछ ही जगह आता है ! लेकिन जब पूरे देश में अस्पतालों में बेड नहीं है , हर रोज दम तोड़ रहे लोगों की लाशों को जलाने के लिए मरघट कम पड़ रहे तो आखिर ये निर्माण कार्य इतना जरूरी था ? एक आम इंसान भी इस दुख की घड़ी में अपना सब कुछ छोड़ दूसरे की मदद करने में जुटा है तो आखिर सरकार कैसे इतनी संवेदनहीन हो सकती है । अब इस पर विपक्षी पार्टियों ने भी सवाल करना शुरू कर दिया है , राहुल गांधी ने तो इस प्रोजेक्ट को अपराधिक बर्बादी कहा है । वहीं corona और सरकार की नाकामी की सुर्खियां दे रही इंटरनेशनल मीडिया ने भी सेंट्रल विस्ता के लिए प्रधानमंत्री को अपने अंदाज में बधाई दी है । ये भी बताया है कि देश कैसे corona की आग में जल रहा है और यहां भारत की शान बढ़ाने के लिए पीएम के नए घर का निर्माण चल रहा है । अब इस पर सवालों को भले ही कोई राजनीति करार दे पर जब देश के लोग तड़प तड़प कर मर रहें हो वहां कोई पीएम अपने नए घर की तैयारी कैसे कर रहा है । पर वो कहते हैं ना लगेगी आग तो आएंगे कई घर जद में ।
मेघना सचदेवा