हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ वर्ष का चौथा महीना आषाढ़ का होता है। इसी इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। इस माह में विभिन्न प्रकार के रोगों का भी संक्रमण सबसे ज्यादा होता है। इसलिए इस मास में स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहना अत्यंत जरूरी होता है। इस महीने से वातावरण में थोड़ी नमी आनी शुरू हो जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार यह माह पूजा पाठ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इसको कामना पूर्ति का महीना भी कहते हैं।
जानें आषाढ़ का महत्व:
यह महीना किसानों के लिए भी बहुत महत्व रखता है क्योंकि वर्षा ऋतु की शुरुआत इसी महीने से होती है। मास के पहले दिन नमक , आंवले, छाता, खड़ाऊं आदि का किसी ब्राह्मण को दान किया जाता है। इसी महीने जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन हमें गुरुजनों के आशीर्वाद भी मिलते हैं। यह महीना पूजा पाठ का विशेष महीना होता है। इस महीने में गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है। इस महीने से भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं। इसी महीने देवशयनी एकादशी भी मनाई जाती है। आषाढ़ माह से चतुर्मास लग जातें हैं अर्थात् आने वाले 4 महीने तक के लिए हर मांगलिक कार्य का वर्जन हो जाता है। इसलिए हिंदू धर्म के अनुसार, आषाढ़ मास से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तक का समय सिर्फ पूजा पाठ का समय होता है।
जानें किनकी उपासना फलदायी है?
हिंदू धर्म अनुसार आषाढ़ की महीना का अलग हीं महत्व है।
इस समय में सूर्य और मंगल की उपासना को शुभ माना जाता है। ज्योतिषविद्य के अनुसार आषाढ़ के महीने में मंगल की पूजा करने से मंगल के कुप्रभाव मिटते हैं व जातक पर इसके शुभ असर दिखने लगते हैं। इसी प्रकार सूर्य की पूजा करने से भी शुभ प्रभाव होने आरंभ हो जाते हैं। आप पाएंगे कि आपके अंदर की नकारात्मकता दूर हो रही है। फलतः आप ऊर्जावान प्रतित करने लगेंगे। इसके साथ हीं इस महीने में भगवान विष्णु का ध्यान करने से संतान की प्राप्ति का वरदान मिलता है। आषाढ़ के महीने में जल देव की भी उपासना का विशेष महत्व है क्योंकि इससे धन की प्राप्ति सरल हो जाती है।
आषाढ़ के महीने में बरतने वाली सावधानियां–
आषाढ़ में बेल बिल्कुल भी ना खाएं। तली हुई भोजन का सेवन कम से कम करें। खाने में सौंफ, हींग और नींबू का प्रयोग करें। फलों में जल युक्त फल जैसे – तरबूज, खीरा, आम, आदि का हीं सेवन करें। चिकित्सक का कहना है कि इस महीने के शुरुआत होते हीं शरीर में मौजूद एंजाइम, बैक्टीरिया, फंगस आदि उभरने लगते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हैजा जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है। इसके अलावा जल से जुड़ी बीमारियां भी इस महीने में होने की संभावना रहती है। इसलिए पीने वाले पानी को उबालकर या फिल्टर करके हीं पिएं।
प्रज्ञा भारती, बिहार।