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सेना की जमीन को बेचने को तैयार केंद्र, रक्षा मंत्रालय ने किया खुलासा

रक्षा मंत्रालय अपनी उन हजारों एकड़ भूमिको बेचने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पहल शुरू कर दी गई है। तीनों सशस्त्र बलों डीआरडीओ तटरक्षक बल, आयुध निर्माणी बोर्ड सहित अन्य विभागों को एक चिट्ठी भेजी गई है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि पिछले दो दशकों में उनके लिए कितनी जमीन की जरूरत हुई है। छह मई को भेजे गए रक्षा मंत्रालय के एक पत्र में कहा गया है कि शेष जमीन को तीन महीने के भीतर संकलित किया जा सकता है। कुछ जमीन पर द्वितीय विश्व युद्ध में स्थापित पुराने अप्रयुक्त हवाई अड्डे हैं। कुछ जमीन अब नागरिक क्षेत्रों के भीतर आते हैं। इसका कुछ ही हिस्सा सैन्य उद्देश्य के लिए होता है। कुछ जमीन पर आयुध कारखानों के पास हैं।क्लास ए-2 भूमि वास्तव में सैन्य अधिकारियों द्वारा उपयोग या कब्जा नहीं किया जाता है बल्कि अस्थायी रूप से उपयोग किया जाता है। क्लास बी-4 भूमि वह है जो किसी अन्य वर्ग की भूमि में शामिल नहीं है।भारत सरकार के पूर्व राजस्व सचिव ने दिसंबर 2017 में 131 सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। बोस समिति की सिफारिश, रक्षा मंत्रालय द्वारा एक अध्ययन के बाद तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत की गई है।

सतीश कुमार (ऑपेरशन हेड, साउथ इंडिया)