आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी जिसकी वजह से आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हुई : श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म होने की वजह से देश में यह गंभीर स्थिति पैदा हुई है। ईंधन का आयात और पर्याप्त आपूर्ति बुरी तरह से ध्वस्त हुई है। आश्चर्यजनक बात यह है कि, श्रीलंका की सरकारी तेल कंपनी सीपीसी की आपूर्ति जून 2022 के मध्य में ही बंद हो गई थी। इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को बचाने के लिए 10 देश सामने आए हैं।
श्रीलंका की आर्थिक सहायता करने वाले देश: भारत, रूस, ब्रिटेन, मलेशिया, नार्वे, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अमेरिका, चीन,
फिलीपींस हैं।
इन देशों की 24 कंपनियों ने अभिरूचि पत्र जमा किए। इन कंपनियों ने देश के ऊर्जा क्षेत्र में अपनी दिलचस्पी दिखाई। आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के पास अपनी मोलिक आवश्यकता जैसे:- दवा, रसोई गैस, ईंधन और टॉयलेट पेपर जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है, जिससे श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों इंतजार करते हुए नजर आए।
श्रीलंका संकट का कारण:
कोलंबो के चर्चों में अप्रैल 2019 के ईस्टर बम विस्फोटों के कारण 253 लोग हताहत हुए, परिणामस्वरूप पर्यटकों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई। वर्ष 2019 में गोटबाया राजपक्षे की नई सरकार ने अपने अभियान के दौरान किसानों के लिये कम कर दरों और व्यापक SoP का वादा किया था। इन बेबुनियाद वादों के त्वरित कार्यान्वयन ने समस्या को और बढ़ा दिया। वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी ने स्थिति को और खराब कर दिया। चाय, रबर, मसालों और कपड़ों के निर्यात को नुकसान हुआ। पर्यटन आगमन और राजस्व में और गिरावट आई।
सरकारी व्यय में वृद्धि के कारण राजकोषीय घाटा वर्ष 2020-21 में 10% से अधिक हो गया और ऋण-सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2019 में 94% से बढ़कर वर्ष 2021 में 119% हो गया।
-रितिका भिलवारा