• Thu. Mar 28th, 2024

वैक्सीन का झुनझुना

Corona से बचने के लिए एक मात्र उपाय है सावधानी । वहीं दूसरी ओर उम्मीद की किरण है वैक्सीन , वो वैक्सीन जो आपको संक्रमित होने से पूरी तरह तो बचा नहीं सकती पर इस संक्रमण को गंभीर रूप नहीं लेने देगी ऐसा दावा है । इन दोनों के बारे में हमने प्रचार देख लिया सुन लिया । लेकिन इसके बावजूद खुद इस सावधानी का मजाक कैसे सरकार ने चुनावी रैलियों में बनाया वो सबके सामने है । चलिए वो तो हो गया लेकिन वैक्सीन की उम्मीद का क्या ????? कहा था 1 मई से 18 से 45 साल वालों को वैक्सीन दी जाएगी । प्रचार प्रसार जिस हिसाब से किया गया लग तो रहा था की जिस उम्मीद पर दुनिया कायम वो पूरी हो जाएगी । लेकिन जनाब ये तो यहां नापतोल की शापिंग वाला हिसाब हो गया । पहले जम कर प्रचार प्रसार किया और जब खरीदने की बारी आई तो साइट ही क्रैश हो गई। कोई नही डिमांड ज्यादा होगी ।
सप्लाई लेकिन कम है ! खबर है की बिहार , मध्यप्रदेश और दिल्ली जैसे कई राज्यों के पास इस हाई ब्रांडिंग वाले अभियान के लिए वैक्सीन ही नहीं बची है तो वो अभी 1 मई से 18 साल की उम्र से ऊपर वालों को वैक्सीन नहीं दे पाएंगे । इसे कहते हैं मास्टरस्ट्रोक । पहले हर मंच से बोलो दवाई भी और कढ़ाई भी लेकिन जब बारी आई तो दवाई है नहीं और कढ़ाई नेताओं से होती नहीं । फॉर्मूला बस ये है ये गूंगी बहरी जनता है इन्हे सुनने की मशीन और बोलने की कला सिखाने की उम्मीद दो । उम्मीद देने में थोड़ी कुछ जाता है ?
दिक्कत ये है कि हमारे चुने हुए इन नेताओं को हमने ही ये आजादी दी है …सरकार बनने से पहले लोक लुभावने वादे करो , सरकार बनने के बाद 4 या 5 दावे करो और काम खत्म । गूंगी बहरी जनता है न वादों की लिस्ट सुनेगी और न दावों की सच्चाई पर सवाल करेगी । उसके बाद भी अगर इक्का दुक्का आवाज बुलंद होती है तो कोई बात नहीं उसे चुप करने की दवाई भी देंगे और NSA की करवाई के तहत कढ़ाई भी देंगे । फिर भी ना चुप हुआ तो प्रचार प्रसार तो है ही लगवा देंगे चौराहों पर पोस्टर और लिख देंगे देशद्रोही ।
और हां ये जो बाकी गूंगी बहरी जनता है न ये देख तो सकती ही है तो देख लेगी आवाज बुलंद करने का अंजाम और बस वैक्सीन के इस झुनझुने के साथ फिर शुरू हो जाएगा प्रचार क्योंकि ऐसे ही तो बनती है सरकार !

-मेघना सचदेवा