• Sat. Apr 20th, 2024

रेसेप तैयप एर्दोगन एक बार फिर बने तुर्की के राष्ट्रपति

अंकारा: तुर्की गणराज्य के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान एक बार फिर राष्ट्रपति के चुनाव को जीत चुके हैं। रविवार को राष्ट्रपति के चुनाव के दूसरे दौर में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कमाल कलचदारलू को करीब चार प्रतिशत वोटों के फासले से हरा दिया। देश के चुनाव बोर्ड की ओर से ऑनलाइन दी जा रही जानकारी के मुताबिक, 99 प्रतिशत मतपेटियों की गिनती के बाद, एर्दोगान को 52.08 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कमाल को 48.92 प्रतिशत वोट मिले। तुर्की में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट प्राप्त करना आवश्यक होता है।

तुर्की की विपक्षी पार्टियों के नजदीक रहने वाली एएनकेए समाचार एजेंसी ने भी बताया है कि एर्दोगान को 51.9 प्रतिशत वोट जबकि कमाल को 48.1 प्रतिशत मत मिला। गौर करने वाली बात यह है कि कमाल 6 पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार थे।

वोटों की गणना के बाद, इस्तांबुल में अपने आवास के बाहर, एर्दोगान ने अपने समर्थकों को धन्यवाद दिया और अपनी जीत का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मैं देश के सभी नागरिकों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मुझे एक बार फिर सरकार का साथी बनाकर अगले पांच वर्षों के लिए मेरा समर्थन किया है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कमाल कलचदारलू को उपहास के साथ कहा, “बाय बाय बाय कमाल।”

उन्होंने कहा कि विजयी उम्मीदवार आज के 8.5 करोड़ नागरिक हैं। चुनाव के आधिकारिक परिणामों के ऐलान से पूर्व ही इस्तांबुल में एर्दोगान के समर्थकों ने जश्न का आगाज कर दिया था। उन्होंने तुर्की या सत्तारूढ़ पार्टी के ध्वज को लहराते हुए और कारों के हॉर्न बजाकर खुशी व्यक्त की। 14 मई को हुए चुनाव में एर्दोगान को 49.24 प्रतिशत, कमाल को 45.07 प्रतिशत और सिनेन ओगन को 5.28 प्रतिशत वोट मिले थे। आपको बता दें कि किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त नहीं होने के कारण रनऑफ चरण की आवश्यकता पड़ी। केवल 4 प्रतिशत वोटों के फासले से 6 दलों के संयुक्त उम्मीदवार कमाल कलचदारलू को पराजित किया गया।

दो दशकों से ज्यादा तुर्की की सत्ता एर्दोगान के हाथों में
एर्दोगान ने एक गुप्त रूप से या विश्वास के साथ दो दशकों से तुर्की की सत्ता पर काबिजी बनायी हुई है और परिणामों ने साबित किया है कि उनकी प्रमुखता अभी भी स्थायी है। विपक्षी उम्मीदवार कमाल ने देश में परिवर्तन और सुशासन में सुधार के वादों के साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें छोटी सी जीत में असफल रहना पड़ा। एर्दोगान तुर्की के रूढ़िवादी और धार्मिक न्याय और विकास पार्टी (एकेपी) के अध्यक्ष हैं।

चुनाव के परिणामों का होगा वैश्विक प्रभाव
तुर्की गणराज्य यूरोप और एशिया महाद्वीपों के बीच मौजूद है और यह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का एक मजबूत सदस्य भी है। इसके सत्ता पर काबिज कौन है, यह पूरी दुनिया पर प्रभाव डालता है। एर्दोगान की सरकार ने हाल ही में स्वीडन राज्य के नाटो संगठन में सम्मिलित होने को वीटो किया था और उन्होंने रूसी महासंघ से मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीदारी भी कर रहा है। कश्मीर मुद्दे पर देखा जाए तो एर्दोगान पाकिस्तान के समर्थन में खड़े दिखते रहे हैं।

एर्दोगान को है कट्टरपंथी मतदाताओं का समर्थन
एर्दोगान को कट्टरपंथी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है, जो तुर्की में इस्लामिक नीतियों को प्रोत्साहित करने और तुर्की के भूराजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के पक्ष में हैं। विडंबना यह है कि आधुनिक तुर्की की स्थापना को मुस्तफ़ा कमाल पाशा, जिन्हें कमाल अतातुर्क भी कहा जाता है, ने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर की थी।

वहीं अंकारा (तुर्की की राजधानी) में अपनी पार्टी के मुख्यालय में भाषण देते हुए, कमाल कलचदारलू ने कहा कि वह तब तक लड़ते रहेंगे जब तक तुर्की में “वास्तविक लोकतंत्र” की स्थापना नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि यह हमारे इतिहास का सबसे अनुचित चुनाव काल था… हम भय के माहौल के समक्ष नहीं झुके। इस चुनाव में तमाम दबावों के बाद भी एक अनियंत्रित सरकार को बदलने की लोगों की इच्छा साफ हो गई।

अपने आखिरी चुनावी रैली में एर्दोगान ने विपक्ष का किया था घेराव
राष्ट्रपति चुनाव की अंतिम रैली में एर्दोगान ने विपक्ष पर संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के संग मिलकर कार्य करने का इल्जाम लगाया था। उन्होंने यह दावा किया है कि विपक्ष को पश्चिमी देशों से आदेश मिलता है। अगर उनकी सरकार बनती है तो वे पश्चिमी देशों की तमन्नाओं के आगे झुक जाएंगे।

विदेश में रह रहे प्रवासियों ने दिया अपना वोट
समस्त यूरोप में 34 लाख तुर्की नागरिकों ने अपने नामों को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराया था। इनमें सबसे अधिक संख्या में लगभग 15 लाख जर्मनी से थे। इसके बाद फ्रांस था, जहां लगभग 4 लाख तुर्की नागरिकों ने वोट डालने के लिए अपने नाम दर्ज कराए थे। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासी तुर्की नागरिकों के बीच इस चुनाव के मामले में गहरा विभाजन देखा गया। इन लोगों में से बड़ी संख्या ने राष्ट्रपति एर्दोगान के पक्ष में वोट डाला, जबकि कमाल कलचदारलू को मत देने वाले मतदाताओं की संख्या भी ठीक-ठाक रही।

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश