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भारत में एक ऐसी जगह जहां लोग करते हैं मृत्यु का इंतज़ार

किसी भी जीव के लिए जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मृत्यु को लेकर अलग ही धारना है। जहां पूरी दुनिया के लोग मृत्यु पर शोक मनाते हैं, वहीं वाराणसी में मृत्यु एक उत्सव है। यहां मृत्यु को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। एक ओर जहां लोग मृत्यु को टालने की कोशिश करते हैं, उससे डरते हैं और इसे जिंदगी का कड़वा सच मानते हैं। तो वहीं दूसरी ओर वाराणसी में ऐसी जगह है जहां देश-विदेश से लोग आकर मृत्यु की प्रतीक्षा करते हैं।

वाराणसी में वह जगह मुमुक्षु भवन के नाम से प्रसिद्ध है जहां पर लोग आकर मृत्यु की प्रतीक्षा करते हैं। वाराणसी में साल 1920 के दशक से मुमुक्षु भवन मौजूद है, एक समय में लगभग 80 से 100 लोग यहां रहकर मृत्यु की प्रतीक्षा करते हैं। हर साल यहां कई हज़ार लोग आकर अर्जी देते हैं और कहते हैं की उन्हें यहीं रहकर अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करनी है। जगह की कमी की वजह से मुमुक्षु भवन में ज़्यादातर लोगों को प्राण त्यागने की ख़ुशी भी नसीब नहीं होती है।

यह माना जाता है कि वाराणसी (बनारस) भारत का सबसे पुराना धार्मिक शहर है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि यह धरती भगवान शिव की है, यह भी कहा गया है कि इस धरती में इतनी ज़्यादा शक्ति है की यहां हर मृत्यु प्राप्त करने वाले मनुष्य को मोक्ष की प्रप्ति होती है, इसी वजह से हर साल पूरी दुनिया से लोग आकर यहां अपने प्राण त्यागते हैं।

हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले ऐसे कई लोग जो देश के दूरदराज इलाके या फिर विदेश में रहते हैं और किसी कारण वश उनकी मृत्यु वहीं हो जाती है, तो उनकी अस्थियों को वहां से लाकर बनारस में गंगा जी में प्रवाहित किया जाता है। हिंदू पुराणों के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति की अस्थियों को भी बनारस लाकर गंगा जी में प्रवाहित कर दिया जाए तो उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वाराणसी के आसपास मौजूद जितने भी जिले हैं वहां ज़्यादातर लोग अपनों के शव को वाराणसी लेकर जाते हैं, मोक्ष के लिए यहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। अगर आप कभी वाराणसी जाएं तो किसी घाट के आसपास कुछ समय व्यतीत करें, आप देखेंगे कि वहां एक के बाद एक लगातार शव आते रहते हैं।

वाराणसी में कुल 84 घाट हैं, इस शहर को लेकर एक कहावत है कि ‘जिसे पूरी दुनिया में जगह नहीं मिलती उसे वाराणसी में जगह मिल ही जाती है’। जिनका इस दुनिया में भगवान शिव के अलावा कोई नहीं है ऐसे लोग और अनगिनत साधु संत आपको वाराणसी के घाटों पर रात व्यतीत करते हुए मिल जाएंगे।

आशीष ठाकुर – हिमाचल प्रदेश